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Zerodha News: सेबी के इन नियमों से जीरोधा परेशान, रेवेन्यू में 60% गिरावट की आशंका

देश के सबसे बड़े ब्रोकरेज में शुमार जीरोधा (Zerodha) का मानना है कि इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क प्रस्तावित है, उससे रेवेन्यू को 30-50 फीसदी का झटका लग सकता है। जीरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने ये बातें एक ब्लॉग में कही। नितिन के मुताबिक वह इस साल रेवेन्यू को सबसे बड़े झटके के लिए तैयार हो रहे हैं और उन्होंने इसकी कुछ वजहें भी गिनाई हैं। नितिन का कहना है कि सेबी का ट्रू-टू-लेबल सर्कुलर 1 अक्टूबर 2024 को लाइव होगा और इंडेक्स डेरिवेटिव्स फ्रेमवर्क अगली तिमाही में कभी भी आ सकता है। इनके चलते रेवेन्यू को ओवरऑल 30-50 फीसदी का झटका लग सकता है। जीरोधा के रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा इंडेक्स डेरिवेटिव है तो सेबी के नए नियमों के चलते जीरोधा को तगड़ा झटका लगेगा।

क्या है SEBI का True-to-Label निर्देश

बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने ट्रू-टू-लेबल निर्देश 1 जुलाई को जारी किया था और इसे 1 अक्टूबर से लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत स्टॉक एक्सचेंजों को अपने सभी ट्रेडिंग मेंबर्स से समान फीस लेना होगा और वे ट्रेडिंग वॉल्यूम या एक्टिविटी के आधार पर छूट नहीं दे पाएंगे। अभी ब्रोकर्स ग्राहकों से वसूल की गई पूरी कीमत और एक्सचेंजों की तरफ से मिली छूट के स्प्रेड से भारी कमाई करते हैं। जीरोधा का अनुमान है कि अब ट्रू-टू-लेबल निर्देशों से रेवेन्यू को 10 फीसदी तक का झटका लग सकता है।

 

और किन बातों से Zerodha परेशान

जीरोधा के मुताबिक सेबी के ट्रू-टू-लेबल सर्कुलर से इसके रेवेन्यू को 10 फीसदी तक का झटका लग सकता है। इसके अलावा कुछ और चीजों से जीरोधा ने रेवेन्यू को झटके की आशंका गिनाई है। इसके तहत एक तो इंडेक्स डेरिवेटिव फ्रेमवर्क है। अभी इस पर कुछ फाइनल नहीं हुआ है लेकिन नितिन का मानना है कि सेबी जल्द ही इसे अंतिम रूप दे देगी। सेबी के इसका कंसल्टेशन पेपर 30 जुलाई को जारी किया था। इसमें मार्केट में स्थिरता लाने और छोटे निवेशकों को बचाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज को चार गुना तक करने, ऑप्शंस प्रीमियम को पहले ही लेने और वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या कम करने का प्रस्ताव है।

इसके अलावा जीरोधा ने रेफरल प्रोग्राम को लेकर सख्त नियमों का भी जिक्र किया। जीरोधा का कहना है कि इसके रेफरल प्रोग्राम के तहत यह ब्रोकरेज का कुछ हिस्सा कमीशन के रूप में बांटती है लेकिन अब सेबी के निर्देशों के चलते इसे झटका लगा है। सेबी ने नियम बना दिया है कि अब इस प्रकार से ब्रोकरेज राशि को एक्सचेंजों के पास रजिस्टर्ड ऑथराइज्ड पर्सन (AP) से ही साझा किया जा सकता है। इससे जो यूजर्स अभी रेफर करते थे, उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आएगी और इसकी ग्रोथ पर झटका दिख सकता है

ब्रोकरेज के मुताबिक रेवेन्यू को अकाउंट खोलने की फीस हटाने और बेसिक डीमैट अकाउंट (BSDA) के नए लिमिट के चलते झटका लग सकता है। ब्रोकरेज को बेसिक डीमैट अकाउंट्स के लिए एएमसी के लिए अकाउंट मेंटेनेंस चार्ज (AMC) लेने की मंजूरी नहीं है। अभी तक इन अकाउंट्स में सिर्प 4 लाख रुपये तक के सिक्योरिटीज को ही होल्ड करने की मंजूरी थी लेकिन अब यह सीमा बढ़कर 10 लाख रुपये तक होने से ब्रोकरेज को रेवेन्यू के मामले में बड़ा झटका लगेगा।

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