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मार्केट में लगातार तेजी ने एनालिस्ट्स की मुश्किल बढ़ाई, निवेश के लिए स्टॉक्स के नाम बताने में छूट रहे पसीने

स्टॉक मार्केट्स में आई तेजी ने एनालिस्ट्स को मुश्किल में डाल दिया है। निवेश के लिए स्टॉक्स के नाम बताने में उनके पसीने छूट रहे हैं। एनएसई निफ्टी 200 इंडेक्स के ऐसे शेयरों की संख्या सिर्फ 61 (24 सितंबर तक) है, जिन्हें खरीदने की सलाह ज्यादातर एनालिस्ट्स ने दी है। ब्लूमबर्ग की स्टडी से यह जानकारी मिली है। इस तिमाही कई स्टॉक्स को डाउनग्रेड का सामना करना पड़ा। इनमें एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, सन टीवी नेटवर्क और डॉ लाल पैथलैब्स शामिल थे। अब इनके बारे में एनालिस्ट्स की औसत रेटिंग ‘होल्ड’ की है।

इंडियन मार्केट्स आज दुनिया के सबसे महंगे शेयर बाजारों में से एक हैं। उधर, आगे कंपनियों की कमाई को लेकर तस्वीर थोड़ी धुंधली दिख रही है। इससे एनालिस्ट्स को आगे शेयरों में कितनी तेजी आ सकती है, इसका अंदाजा लगाने में दिक्कत आ रही है। डीएसपी म्यूचुअल फंड के स्ट्रेटेजिस्ट साहिल कपूर ने कहा, “कई शेयरों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। कंपनियों के मार्जिन पहले से पीक पर हैं। सेल्स की ग्रोथ कमजोर दिख रही है।”

Nifty200 इंडेक्स की वैल्यू इसके अगले 12 महीनों के अनुमानित अर्निंग्रस की करीब 24 गुनी है। पिछले दशक का यह औसत करीब 19 गुना था। स्टॉक्स की वैल्यूएशन में कंपनी के मुनाफे का भी हाथ होता है। कंपनियों की प्रॉफिट आगे सुस्त पड़ने के आसार हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीजी ने कहा है कि FY25 में निफ्टी50 कंपनियों की अर्निंग्स की ग्रोथ 8.4 फीसदी रह सकती है। FY24 में यह 20 फीसदी थी।

इंडियन स्टॉक मार्केट्स में शेयरों की कीमतें लगातार ऊंचाई के नए रिकॉर्ड बना रही हैं। इसकी वजह यह है कि घरेलू निवेशकों के साथ विदेशी निवेशक इंडियन मार्केट्स में लगातार निवेश कर रहे हैं। इसकी वजह इंडियन इकोनॉमी की तेज ग्रोथ है। पिछले हफ्ते अमेरिका में फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी के बाद 24 सितंबर को निफ्टी ने ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बना दिया।

मार्केट एक्सपर्ट्स के बीच इस बात को लेकर बहस जारी है कि मार्केट की यह तेजी आगे जारी रहेगी या नहीं। इस बीच इनवेस्टमेंट ट्रेंड में बदलाव दिख रहा है। कई इनवेस्टर्स लार्जकैप स्टॉक्स में पैसे लगा रहे हैं, जिनमें वैल्यूएशन अपेक्षाकृत बेहतर है। कुछ इनवेस्टर्स फाइनेंशियल स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं, क्योंकि मार्केट की तेजी में फाइनेंशियल स्टॉक्स का पार्टिशिपेशन नहीं रहा है।

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