Suzlon Energy News: विंड टर्बाईन बनाने वाली सुजलॉन एनर्जी अब कर्ज और कारोबारी उतार-चढ़ाव से उबर चुकी है। इसका ऑर्डर बुक करीब 5 गीगावॉट का हो चुका है और लागत भी कम हुई है। मनीकंट्रोल के साथ इंटरव्यू में कंपनी के मैनेजमेंट ने बताया कि कंपनी ने विस्तार की बड़ी योजना तैयार की है। कंपनी मार्केट में अपने दबदबे को कायम रखते हुए अधिक क्षमता के विंड टर्बाईन के मार्केट में उतरने वाली है और साथ ही यह रिन्यूएबल एनर्जी के और सेगमेंट में एंट्री करने वाली है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 1500 करोड़ रुपये का कर्ज चुका दिया और दस साल में पहली बार इसकी नेटवर्थ पॉजिटिव हुई है। इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स भी इसे लेकर पॉजिटिव हुए हैं और वैश्विक एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक ने हाल ही में इसने हिस्सेदारी खरीदी है।
राइट्स इश्यू ने बदल दी Suzlon Energy की कहानी
सुजलॉन बढ़ते कर्ज और घाटे से परेशान थी। वर्ष 2019 में इसने लागत कम करने और कर्ज घटाने पर फोकस किया। लागत घटाने के प्रयासों के चलते कंपनी अपने ब्रेक-इवन प्वाइंट्स को वित्त वर्ष 2017 में 1400 मेगावॉट से घटाकर वित्त वर्ष 2020 में 600 मेगावॉट तक लाने में सफल रही। इसके अलावा अपनी सेहत मजबूत करने के लिए अक्टूबर 2022 में यह राइट्स इश्यू ला रही थी कि इसे कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन Tulsi Tanti की 1 अक्टूबर 2022 की देर शाम मौत से झटका लगा। हालांकि राइट्स इश्यू सफल रहा और अब दो साल में कंपनी के लिए काफी कुछ बदल चुका है।
सुजलॉन ग्रुप के सीईओ जेपी चलसानी के मुताबिक दो चीजों- लागत में कटौती और कर्ज फ्री ने कंपनी के आगे बढ़ने का रास्ता मजबूत किया। कंपनी के को-फाउंडर और वाइस चेयरमैन Girish Tanti के मुताबिक कंपनी का कैश फ्लो ही इसके आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त है और अब किसी प्रकार से फंड जुटाने की जरूरत नहीं है। मार्च 2024 में क्रिसिल रेटिंग्स ने पॉजिटिव आउटलुक के साथ इसकी रेटिंग को अपग्रेड कर ‘A-‘ कर दिया। मार्जिन में उम्मीद से बेहतर सुधार, ओएंडएम बिजनेस से हेल्दी कैश फ्लो और ऑर्डर बुक में उछाल के चलते ही रेटिंग अपग्रेड हुई है।
अब आगे क्या है सुजलॉन एनर्जी का प्लान?
कंपनी के सीईओ और वाइस चेयरमैन ने खुलासा किया कि कंपनी अब रिन्यूएबल एनर्जी के सेगमेंट में विंड टर्बाईन से बाहर भी विस्तार करना चाहती है। इसका कोर बिजनेस विंड टर्बाईन का है और इसमें कंपनी अपनी एक तिहाई मार्केट हिस्सेदारी को बनाए रखते हुए अधिक कैपेसिटी के विंड टर्बाईन मार्केट में जाने वाली है। सुजलॉन का लेटेस्ट 3.15 मेगावॉट का मॉडल तैयार हो चुका है और इसके लिए काफी ऑर्डर्स भी मिल चुके हैं। अब कंपनी अगले प्रोडक्ट के लिए तैयारी कर रही है ताकि भविष्य के मांग की जरूरतों को पूरा किया जा सके। भारत की योजना वर्ष 20230 तक 500 गीगावॉट की रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी लगाने की है जिसमें से 140 गीगावॉट तो विंड एनर्जी की रहेगी। जेपी के मुताबिक 2030 के इस लक्ष्य के हिसाब से भारत सालाना 5-6 गीगावॉट के इंस्टॉलेशन से बढ़कर 10-12 गीगावॉट पहुंचेगी।
विंड टर्बाईन के अलावा कंपनी की योजना सोलर और स्टोरेज सॉल्यूशंस में भी विस्तार की योजना बना रही है। इसे लेकर सुजलॉन ग्रुप ने अगस्त 2024 में ऐलान किया था कि रेनॉम एनर्जी सर्विसेज प्राइलेट लिमिटेड में 76 फीसदी हिस्सेदारी के लिए इसने Sanjay Ghodawat Group के साथ सौदा किया है। रेनॉम के पास 1782 का विंड एसेट्स, 148 मेगावॉट का सोलर एसेट्स और 572 मेगावॉट का प्लांट्स अंडर मेंटेनेंस है।
गिरीश के मुताबिक अब ग्राहकों को सिर्फ विंड एनर्जी नहीं चाहिए। वे सोलर और एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस की तरफ भी देख रहे हैं। ऐसे में कंपनी ने इन सभी को अपने कारोबार में शामिल करने का फैसला किया क्योंकि जो हर प्रकार की सर्विसेज एक ही जगह दे सके, ग्राहक उसी के पास जाना पसंद करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि कंपनी सोलर इक्विपमेंट और बैट्री स्टोरेज नहीं बनाएगी और इसके लिए यह हाइब्रिड मॉडल अपनाएगी।