ये तेज वृद्धि की रफ्तार बरकरार रखने की क्षेत्र की क्षमता, नई दवाओं को उतारने, मजबूत जेनेरिक मूल्य निर्धारण, अमेरिकी बाजार में दवाओं की किल्लत और घरेलू बाजार के लगातार प्रदर्शन की वजह से दर्ज की गई है। पिछले साल 10 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि दर्ज करने के बाद कई ब्रोकरों और रेटिंग एजेंसियों ने अनुमान जताया कि भारतीय फार्मा क्षेत्र इस साल 8-10 प्रतिशत तक बढ़ेगा। यह वृद्धि घरेलू बाजार और विनियमित एवं अर्द्ध-विनियमित बाजारों को निर्यात दोनों में अवसरों से होने की संभावना है।
क्रिसिल मार्केट इंटेलीजेंस ऐंड एनालिटिक्स के निदेशक अनिकेत दानी का मानना है कि फॉर्मूलेशन निर्यात वित्त वर्ष 2025 में रुपये के लिहाज से 12-14 प्रतिशत तक बढ़ेगा। अमेरिका और यूरोप के बाजारों में 13-15 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान है, जिसे दवाओं की मौजूदा कमी, अमेरिकी जेनेरिक बाजार में मूल्य निर्धारण दबाव में कमी और उत्पाद पेशकशों की बढ़ी बिक्री से मदद मिलने का अनुमान है।
अर्द्ध-विनियमित बाजारों के लिए निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 8-10 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है और इसे विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार, डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्राओं में मजबूती और कुछ खास अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में आर्थिक संकट में कमी आने से मदद मिलेगी।
ऐक्सिस सिक्यो. के विश्लेषकों अंकुश महाजन और अमन गोयल का मानना है कि अमेरिकी बाजार में वृद्धि मजबूत रहने की संभावना है। वृद्धि को आधार व्यवसाय में कीमतें सामान्य होने, कैंसर दवा रेवलिमिड के जेनेरिक वर्सन में लगातार बदलाव और नई दवा पेशकशों से मदद मिलेगी। आपूर्ति संबंधी दबावों के कारण कीमत गिरावट में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसके वित्त वर्ष 2025 के शेष समय में कम रहने की उम्मीद है।
ल्यूपिन और अरबिंदो फार्मा को इस क्षेत्र में प्रमुख पसंद के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका में स्थिर कीमतों के अलावा कच्चे माल की कम लागत की मदद से वित्त वर्ष 2025 के लिए परिचालन मुनाफा मार्जिन 22 प्रतिशत के साथ मजबूत बना रह सकता है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 1 प्रतिशत की वृद्धि है।
अप्रैल-जून तिमाही में परिचालन मुनाफा मार्जिन 25.3 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 220 आधार अंक और तिमाही आधार पर 230 आधार अंक की वृद्धि है। यह सुधार बेहतर उत्पाद मिश्रण, घरेलू फॉर्मूलेशन व्यवसाय में मजबूत वृद्धि, उत्पाद-केंद्रित अवसरों से अमेरिकी जेनेरिक बाजार में मजबूत प्रदर्शन और कच्चे माल की कीमतों में नरमी की वजह से आया।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार कंपनियों ने लागत बचत की पहल पर जोर दिया है, जिसमें पोर्टफोलियो बेहतर करना, बाजार से जुड़े कर्मियों को तर्कसंगत बनाना और दक्षता और मुनाफा बढ़ाने के लिए गैर-जरूरी परिसंपत्तियां घटाना शामिल है। क्षेत्र के लिए ताजा उत्प्रेरक अमेरिकी संसद में पेश बायोसिक्योर ऐक्ट है जो वैश्विक फार्मा कंपनियों को अपने कार्य पैकेज चीन को आउटसोर्स करने से रोकेगा।
इनक्रेड रिसर्च के अनुसार भारतीय अनुबंध विकास एवं निर्माण कंपनियों को मध्यावधि से दीर्घावधि में इसका फायदा मिलने की संभावना है। बाजार घरेलू फार्मा सेगमेंट की वृद्धि दरों पर भी नजर रखेगा। अभी तक इस सेगमेंट का प्रदर्शन कीमत वृद्धि और नियमित चिकित्सा जरूरतों में मजबूत प्रदर्शन पर केंद्रित रहा है। घरेलू व्यवसाय वित्त वर्ष 2025 में ऊंची एक अंक की वृद्धि दर्ज कर सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक अलंकार गरुडे का मानना है कि अमेरिकी जेनेरिक मूल्य निर्धारण में मौजूदा स्थिरता के साथ साथ लगातार दवा किल्लत और कच्चे माल की कीमतों में स्थिरता से 2023-23 से 2024-26 के दौरान 14.3 प्रतिशत की आय वृद्धि को मदद मिलेगी।
हालांकि ब्रोकरेज ने इस क्षेत्र पर सकारात्मक नजरिया बरकरार रखा है, लेकिन उसने शेयर कीमतें महंगी होने का भी जिक्र किया है। सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, जेबी केमिकल्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स और सिप्ला उसके पसंदीदा शेयरों में शामिल हैं।
मैक्वेरी कैपिटल ने लार्जकैप फार्मा शेयरों और एरिस लाइफसाइंस पर ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग बरकरार रखी है जबकि मैनकाइंड फार्मा तथा इप्का लैबोरेटरीज पर ‘तटस्थ’ और अल्केम लैबोरेटरीज पर ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग दी है।