तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद एक बीच नया मोड़ आ गया, जब 20 सितंबर को अयोध्या मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि इस साल की शुरुआत में तिरुपति मंदिर से ‘प्रसाद’ अयोध्या में राम मंदिर में भक्तों को बांटा गया था। हाल ही में लैब टेस्ट की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि तिरुपति मंदिर के प्रासद लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी में गोमांस की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया था।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य पुजारी ने पुष्टि की कि जनवरी में राम मंदिर अभिषेक समारोह या प्राण प्रतिष्ठा के दौरान तिरुपति मंदिर से 300 किलोग्राम ‘प्रसाद’ भक्तों को दिया गया था।
उनकी यह टिप्पणी तिरूपति लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी के कथित इस्तेमाल को लेकर विवाद के बीच आई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था।
विपक्षी YSRCP ने नायडू पर राजनीतिक लाभ के लिए “जघन्य आरोप” लगाने का आरोप लगाया, जबकि नायडू की TDP ने दावे का समर्थन करने के लिए एक लैब रिपोर्ट पब्लिश की।
शुक्रवार को, अयोध्या मंदिर के मुख्य पुजारी ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के ‘प्रसाद’ (लड्डू) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में कथित तौर पर जनवरों की चर्बी मिलने पर नाराजगी जताई।
PTI ने दास के हवाले से कहा, “अगर प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई, तो यह अक्षम्य है। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
दास ने इसे “हिंदू आस्था का मजाक” करार देते हुए मामले की जांच की मांग की और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इसमें मांग की गई कि आंध्र प्रदेश सरकार मंदिर का नियंत्रण और प्रबंधन हिंदू समाज को सौंप दे।
VHP महासचिव बजरंग बागड़ा ने भी देश भर में सभी मंदिरों और दूसरे हिंदू धार्मिक स्थानों को सरकारी नियंत्रण से “मुक्त” करने की वकालत की, साथ ही उन्होंने तिरुपति लड्डू प्रसादम का अपमान करने में कथित रूप से शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।