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SpiceJet का शेयर 3% टूटा, 3 एयरक्राफ्ट इंजनों पर सुप्रीम कोर्ट से मिले झटके से बिकवाली

SpiceJet Stock Price: एयरलाइन स्पाइसजेट के शेयर में 20 सितंबर को पहले तेजी और बाद में गिरावट दिखी। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से शेयर में बिकवाली हुई और यह 3 प्रतिशत टूट गया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें स्पाइसजेट को 3 एयरक्राफ्ट इंजन का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दिया गया था। इंजन लीज पर देने वालों यानि लेसर्स को स्पाइसजेट की ओर से भुगतान में चूक के कारण यह निर्देश दिया गया था।

20 सितंबर को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के 11 सितंबर के फैसले के खिलाफ स्पाइसजेट की अपील खारिज कर दी। बेंच ने कहा, ‘‘हम दखलंदाजी नहीं करेंगे। यह एक सही आदेश है।’’

पहले SpiceJet शेयर 3% चढ़ा, फिर गिरा

स्पाइसजेट का शेयर सुबह मामूली बढ़त के साथ बीएसई पर 68.95 रुपये पर खुला। इसके बाद यह पिछले बंद भाव से करीब 3 प्रतिशत तक चढ़कर 70.40 रुपये के हाई तक गया। बाद में शेयर में गिरावट आई और इसने 65.51 रुपये का लो छुआ। कारोबार खत्म होने पर शेयर 3 प्रतिशत टूटकर 66.16 रुपये पर सेटल हुआ। स्पाइसजेट का मार्केट कैप घटकर 5200 करोड़ रुपये पर आ गया है। पिछले 3 महीनों में शेयर 20 प्रतिशत मजबूत हुआ है। एक साल के अंदर इसने 74 प्रतिशत की तेजी देखी है।

14 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने दिया था आदेश

बता दें कि पहले दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 14 अगस्त को स्पाइसजेट को 3 एयरक्राफ्ट इंजन का इस्तेमाल 16 अगस्त तक बंद करने और उन्हें लेसर्स- टीम फ्रांस 01 एसएएस और सनबर्ड फ्रांस 02 एसएएस को सौंपने का आदेश दिया था। उसके बाद स्पाइसजेट ने इस आदेश को चुनौती दी और दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस अमित बंसल की डिवीजन बेंच ने सिंगल जज बेंच के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। डिवीजन बेंच ने कहा था कि एयरलाइन ने बकाये के भुगतान के लिए किए गए अंतरिम समझौते का उल्लंघन किया है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने भी दखलंदाजी करने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पाइसजेट को 15 दिन के अंदर 3 इंजनों का इस्तेमाल बंद करने और उन्हें लेसर्स को लौटाने को कहा गया है। कंपनी पर 601 करोड़ रुपये से अधिक का वैधानिक बकाया है।

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