Vodafone Idea Shares: टेलीकॉम कंपनियों के सामने एक बार फिर से AGR बकाया का भूत खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक फैसले से इन कंपनियों की लगभग बची-खुची आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी। इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान में रहीं वोडाफोन आइडिया और इंडस टावर्स। फैसला आने के एक घंटे के अंदर ही वोडाफोन आइडिया की मार्केट वैल्यू करीब 13,500 करोड़ रुपये घट गई थी। कारोबार के अंत में इसका शेयर 19% गिरकर साढ़े 10 रुपये के पास बंद हुआ। यह पिछले ढाई साल यानी जनवरी 2022 के बाद से अबतक वोडाफोन आइडिया के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं इंडस टावर्स के शेयर में भी 4 जून के बाद की सबसे बड़ी गिरावट आई और यह लगभग 9 फीसदी नीचे लुढ़ककर बंद हुआ। आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ऐसा क्या था और ये AGR बकाया का पूरा मामला क्या है? वोडाफोन आइडिया के शेयर में अब आगे क्या उम्मीद है? आइए जानते हैं
AGR बकाया क्या होता है?
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ये AGR बकाया क्या है। सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच में इसे लेकर 1999 से विवाद चल रहा है। AGR का मतलब होता है ‘एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू’। यह टेलीकॉम कंपनियों की कुल आय का हिस्सा है। यह 2 तरह से होती है। पहली- टेलीकॉम सर्विस से आने वाली आय, जिसमें कॉल, एसएमएस और इंटरनेट डेटा से होने वाली आय शामिल होती है। दूसरा है गैर-टेलीकॉम आय। जैसे कंपनी ने बैंक में कोई पैसा जमा किया है, उस पर ब्याज आ रहा है या अपनी कोई बिल्डिंग किराए पर दी है, उससे जो आय रही है। यह सब गैर-टेलीकॉम आय होती है।
सरकार ने इन दोनों आय को मिलाकर टेलीकॉम कंपनियों से उसके आधार पर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज लेने का फैसला किया। और यही से विवाद की शुरुआत हुई। टेलीकॉम कंपनियां सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय पर ही पैसा देना चाहती थी। जबकि सरकार चाहती थी कि पूरी आय पर फीस वसूली जाए। बाद में मामला कोर्ट में गया और इसपर सालों तक सुनवाई।
आखिरकार 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और टेलीकॉम कंपनियों को पूरी आय पर, यानी AGR पर बकाया लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क देने का आदेश दिया।
इस फैसले से वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और दूसरी टेलीकॉम कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये का बकाया हो गया। सिर्फ Vodafone Idea पर अभी करीब ₹70,300 करोड़ का बकाया है, जबकि Bharti Airtel पर ₹36,000 करोड़ का बकाया है।
इस भारी कर्जे के बीच वोडाफोन आइडिया ने एक बार फिर हिम्मत करके सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका डाली। बाकी कंपनियों से भी इस मामले में इसे सपोर्ट मिला था। इन कंपनियों का कहना था कि सरकार ने AGR बकाया को कैलकुलेट करने में कई सारी गलतियां की है और अगर उनके हिसाब से इसे जोड़ा जाए तो यह बकाया राशि काफी कम हो जाएगी। यह इन कंपनियों की आखिरी उम्मीद थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इस याचिका को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों ने जो भी डॉक्यूमेंट पेश किए थे, उसमें उसे कोई भी ठोस मामला नहीं मिला है।
सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया चुकाने के लिए इन कंपनियों को 10 साल तक का समय दिया। ऐसे में अब इन कंपनियों के लिए मामला फिर से वहीं आकर खड़ा हो गया है। सबसे अधिक मुश्किल में वोडाफोन आइडिया है, जो लगभग हर मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रही है। कंपनी के ग्राहक लगातार कम हो रहे हैं और उसका वित्तीय संकट भी बढ़ता जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना था कि अगर यह फैसला वोडोफोन के पक्ष में आता, तो इसका शेयर लगभग 5 रुपये तक बढ़ सकता है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उलटे अब यह शेयर गिरकर 11 रुपये के भाव से भी नीचे आ गया है। कंपनी ने अप्रैल में इसी भाव पर निवेशकों से लगभग 18,000 करोड़ जुटाए थे।
अब सवाल उठता है कि Vodafone Idea के शेयरधारक क्या करें? Goldman Sachs ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि कंपनी का कैश फ्लो 2031 तक नकारात्मक रह सकता है। उसने तो ये भी चेतावनी दी थी कि इसका शेयर 83 फीसदी गिरकर 2.5 रुपये तक आ सकता है। बाकी एक्सपर्ट्स को भी Vodafone Idea के शेयरों फिलहाल कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है।
Tradebulls के सच्चितानंद उत्तेकर ने कहा कि कंपनी का शेयर 13 रुपये के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल से नीचे गिर चुका है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में और गिरावट देखी जा सकती है। उन्होंने इसके 7 रुपये तक गिरने का अनुमान जताया है।
वहीं Anand Rathi के जिगर पटेल का कहना है कि Vodafone Idea का चार्ट फिलहाल बेहद कमजोर दिख रहा है, क्योंकि इसका 200-दिनों का एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज टूट चुका है। हालांकि, RSI ने ओवरसोल्ड टेरिटरी में एंट्री कर ली है, लेकिन मौजूदा स्थिति में शेयर में निवेश से बचना ही बेहतर होगा।
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