FIIs buying Indian Stocks: जिस हिसाब से विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अभी भारतीय मार्केट में शेयरों की खरीदारी कर रहे हैं, अगर वह रुझान बना रहा तो यह महीने इस साल का अब तक का सबसे शानदार महीना हो सकता है। इस महीने अब तक FIIs ने 330 करोड़ डॉलर के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की है जबकि पिछले महीने यह आंकड़ा 87.3 करोड़ डॉलर ही थी। इस महीने जो पैसे उन्होंने भारतीय मार्केट में डाले हैं, NSDL के आंकड़ों के मुताबिक उसमें से 61.42 करोड़ डॉलर को आईपीओ में गया और बाकी 271 करोड़ डॉलर तो सेकंडरी मार्केट के जरिए निवेश हुआ।
IPO का फीका हो रहा रुझान?
आईपीओ की धांसू लिस्टिंग के चलते आम निवेशकों का रुझान आईपीओ मार्केट की तरफ बढ़ा है और FIIs भी इसका फायदा उठा रहे हैं। हालांकि सितंबर महीने में 11,248 करोड़ रुपये के 10 आईपीओ की बजाय FII ने सेकंडरी मार्केट को वरीयता दी। इस साल 2024 में FIIs ने भारतीय मार्केट में 848 करोड़ डॉलर के शेयर खरीदे जिसमें से 720 करोड़ डॉलर तो आईपीओ में गए। वहीं मार्च, जून, जुलाई और सितंबर में सेकंडरी मार्केट में ही वे सेकंडरी मार्केट में नेट बायर्स रहे यानी बिक्री से अधिक खरीदारी की और इन महीनों में प्राइमरी मार्केट से अधिक उन्होंने सेकंडरी मार्केट में निवेश किया। सबसे अधिक खरीदारी मार्च में की। मार्च में FIIs ने सेकंडरी मार्केट में 352 करोड़ डॉलर, फिर जुलाई में 312 करोड़ डॉलर और जून में 292 करोड़ डॉलर के शेयर खरीदे।
सेकंडरी मार्केट में क्यों बढ़ी FIIs की दिलचस्पी
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रांति बथिनी के मुताबिक FIIs की एक्टिविटी सेकंडरी मार्केट में इसलिए बढ़ी क्योंकि आईपीओ की संख्या बहुत बढ़ गई है और मार्केट में काफी उतार-चढ़ाव के बीच प्रमोटर्स और पीई इनवेस्टर्स बड़े ब्लॉक डील कर रहे हैं। FIIs ने इन ब्लॉक डील्स का फायदा उठाया और मार्केट की अस्थिरता के बीच “गिरावट पर खरीदारी” की रणनीति अपनाई। इस महीने आईपीओ की बात करें तो बजाज हाउसिंग फाइनेंस के अलावा अधिकतर आईपीओ छोटे थे तो FIIs ने सेकंडरी मार्केट पर फोकस किया। उन्होंने मुख्य रूप से बड़े कंपनियों, बैंकिंग, और इंजीनियरिंग स्टॉक्स खरीदे।
मार्केट एक्सपर्स्ट्स के मुताबिक इससे पहले हाई वैल्यूएशन और राजनीतिक अनिश्चितता के चलते सेकंडरी मार्केट में बिकवाली का दबाव था। हालांकि फिर लोकसभा चुनाव के नतीजे आए और जून तिमाही के नतीजे भी आने लगे। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व से भी दरों में कटौती की संभावना दिख रही है तो इन सबने मिलकर पॉजिटिव माहौल बना दिया और FIIs ने अपना नजरिया बदला और सेकंडरी मार्केट में टूट पड़े। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिटेल रिसर्च हेड) Deepak Jasani का मानना है कि अगले कुछ दिनों में अमेरिका फेड के दर कटौती के ऐलान पर भारतीय मार्केट समेत दुनिया भर के मार्केट कुछ समय के लिए रिकॉर्ड हाई पर पहुंच सकते हैं।
एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट राजेश पालवीया का मानना है कि भारतीय बाजारों में FIIs इसलिए खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अमेरिकी फेड दरों में कटौती कर सकता है और वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार अधिक स्थिर हैं और FIIs के लिए यहां अनुकूल माहौल हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है, और कॉरर्पोरेट कमाई स्थिर रही है, अब तक कोई महत्वपूर्ण निगेटिव संकेत नहीं हैं। राजेश के मुताबिक FIIs ने आईटी और हेल्थकेयर में भारी निवेश किया है। इसके अलावा ऑटोमोटिव और एफएमसीजी भी उनकी पसंद बनी हुई है।
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