एचएसबीसी म्यूचुअल फंड ने इंडिया एक्सपोर्ट अपॉर्चुनिटीज फंड लॉन्च किया है। यह फंड उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगा, जिनकी इनकम का बड़ा हिस्सा एक्सपोर्ट से आता है। इस फंड में 18 सितंबर तक इनवेस्ट किया जा सकता है। यह एक थिमैटिक फंड है, जो चुनिंदा सेक्टर की कंपनियों में निवेश करेगा। इसका निवेश उन्हीं कंपनियों के शेयरों में होगा, जिनके रेवेन्यू में एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 20 फीसदी से ज्यादा है।
यह फंड अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस, बेहतर कैश फ्लो और सही वैल्यूएशन वाली कंपनियों में भी निवेश करेगा। इस फंड के पास इस थीम से बाहर की कंपनियों में भी 20 फीसदी तक निवेश की आजादी होगी। यह फंड जिन सेक्टर में निवेश कर सकता है, उनमें ऑटोमोबाइल एंड ऑटो कंपोनेंट्स, इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स एंड मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, फार्मास्युटिकल्स एंड बायोटेक्नोलॉजी, केमिकल्स, टेक्सटाइल्स एंड अपैरल्स, कंस्ट्रक्शन, एग्रीकल्चर फूड, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, मेटल्स, आईटी सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज, टेलीकॉम सर्विसेज आदि शामिल हैं।
यह फंड उन कंपनियों के शेयरों में निवेश नहीं करेगा, जिनकी इनकम सिर्फ डोमेस्टिक मार्केट से आती है। इस तरह इसका निवेश बैंकिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर में नहीं होगा। इस तरह से इस फंड का प्रदर्शन इंडिया के एक्सपोर्ट के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। सर्विसेज एक्सपोर्ट के मामले में इंडिया दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रोथ वाले देशों में शामिल है। यह लगातार बढ़ रहा है।
इंडिया ने 2030 तक एक्सपोर्ट के लिए 2 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर का टारगेट तय किया है। इसका मतलब है कि एक्सपोर्ट में 15 फीसदी कंपाउंडेड ग्रोथ जरूरी होगी। एचएसबीसी म्यूचुअल फंड ने कहा है कि सरकार की पॉलिसी एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने वाली रही है। सरकार रिफॉर्म्स पर फोकस कर रही है। लेबर में लीडरशिप पॉजिशन और सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन से इंडिया के एक्सपोर्ट की अच्छी ग्रोथ रहेगी।
एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के सीआईओ (इक्विटी) वेणुगोपाल मंगत ने कहा, “ऐसी 310 कंपनियां हैं, जिनके रेवेन्यू में एक्सपोर्ट की कम से कम 20 फीसदी हिस्सेदारी है। इनमें से 235 कंपनियां गुड्स का एक्सपोर्ट करती हैं, जबकि 75 कंपनियां सर्विसेज का एक्सपोर्ट करती हैं।” उन्होंने कहा कि इनमें 31 कंपनियां लार्जकैप कैटेगरी की हैं, 40 मिडकैप कैटेगरी की है और 239 स्मॉल साइज की कंपनियां हैं।
उन्होंने कहा कि स्कीम का एप्रोच लचीला होगा। लेकिन, इसका ज्यादा निवेश लार्जकैप कंपनियों में होगा। स्कीम के पोर्टफोलियो में बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स नहीं होंगे। लेकिन, आईटी, फार्मास्युटिकल्स और ऑटो सेक्टर की कंपनियों के शेयरों की पोर्टफोलियो में ज्यादा हिस्सेदारी होगी।
पिछले कुछ सालों में थिमैटिक फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। हालिया डेटा के मुताबिक, सेक्टर और थिमैटिक फंडों में नेट इनफ्लो म्यूचुअल फंड की दूसरी कैटेगरी के मुकाबले ज्यादा रही है। बीते एक साल में सेक्टर और थिमैटिक फंडों में 1.2 लाख करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो आया है। एचएसबीसी के इस फंड की तरह पहले से सिर्फ एक फंड मार्केट में उपलब्ध है। इसका नाम आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एक्सपोर्ट्स एंड सर्विसेज फंड है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एक्सपोर्ट्स एंड सर्विसेज फंड ने ज्यादातर टाइम फ्रेम में बाजार के प्रमुख सूचकांकों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। बीते तीन साल, पांच साल और सात साल में इस फंड ने क्रमश: 22 फीसदी, 24.4 फीसदी और 17.3 फीसदी का कंपाउंडेड एनलाइज्ड ग्रोथ रेट से रिटर्न दिया है।
थिमैटिक फंड या सेक्टर फंड सभी तरह के निवेशकों के लिए नहीं हैं। इनमें रिस्क ज्यादा होता है। अगर आप इस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं तो पहले इसे ठीक तरह से समझ लें। इस फंड का रास्ता उतारचढ़ाव से भरा हो सकता है। अगर आप इसके लिए तैयार हैं तो आप इस फंड में निवेश करने के बारे में सोच सकते हैं।