Agri Commodity: सोयाबीन के किसान की मुश्किल बढ़ी है। साल 2012-13 के स्तर पर सोयाबीन मंडियों में बिक रहा है। मध्य प्रदेश की मंडियों सोयाबीन के दाम 4500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचे है। सोयाबीन के आगे के आउटलुक पर सीएनबीसी-आवाज से बातचीत में पूर्व एग्री सेक्रेटरी सिराज हुसैन ने कहा कि सस्ते इंपोर्ट, US और ब्राजील में ज्यादा फसल के कारण सोयाबीन की कीमतें कमजोर हुई है। सस्ते भावों पर सोयाबीन तेल के इंपोर्ट से सोयाबीन में दबाव देखने को मिल रहा। सोयाबीन किसानों की आय 2012-2013 के स्तर पर हैं।
सिराज हुसैन ने इस बातचीत में आगे कहा नई फसल आने में केवल 3 सप्ताह बचे हैं इसलिए सरकार को एक्शन लेना जरूरी है। वहीं अन्य एग्री कमोडिटी पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि इस साल दालों का बुआई रकबा बढ़ा है। दालों पर सही एमएसपी नहीं मिला तो किसान निराश होंगे। तुअर , उड़द, मूंग की सप्लाई आएगी।
देश में मसालों की मांग में उछाल जारी
वहीं दूसरी तरफ देश में मसालों की मांग में उछाल जारी है। मसालों के एक्सपोर्ट में आई रही तेजी देखने को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड स्तरों पर एक्सपोर्ट पहुंचा है जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में $4.46 बिलियन का एक्सपोर्ट हुआ। 2023 में मसालों की बाजार 1.81 लाख करोड़ का हुआ। 2032 में बाजार 4.70 लाख करोड़ का होने की उम्मीद है। इधर NCDEX पर मसालों की चाल पर नजर डालें तो 1 हफ्ते में जीरा और धनिया 2 फीसदी टूटा है। वहीं धनिया 6 फीसदी उछला है।
मसालों के आउटलुक पर बात करते हुए भोज मसाले के राजेश भोजवानी ने कहा कि मसाला बाजार हर साल 5-6 फीसदी की ग्रोथ दिखा रहा है। 2030 तक भारतीय मसाला बाजार 1 लाख 60 हजार करोड़ से बढ़कर `3 लाख करोड़ हो जाएगा। राजेश ने आगे कहा कि आजकल कंज्यूमर अच्छे मसालों का चुनाव कर रहे हैं। 70% बाजार अनऑर्गनाइज लेकिन ग्रोथ अच्छी है। मसालों के भावों में उतार-चढ़ाव बना रहता है। उन्होंने कहा कि भारतीय मसालों के बाजार को विस्तार करने की योजना है।
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