कर्नाटक सरकार ने अपने विभागों को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ कारोबार न करने का आदेश देने वाला सर्कुलर वापस लेने का फैसला किया है। यह फैसला दोनों सरकारी बैंकों की ओर से गबन की गई 22.67 करोड़ रुपये की राशि को एक साल के ब्याज सहित चुकाए जाने के बाद लिया गया है। कर्नाटक के फाइनेंस डिपार्टमेंट ने बीते 12 अगस्त को राज्य के सभी विभागों, बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालय, स्थानीय निकायों और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को SBI और PNB के साथ रिश्ता खत्म करने का निर्देश दिया था। सरकार ने आरोप लगाया कि बैंक गबन की गई 22 करोड़ रुपये की राशि वसूलने में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हालांकि चार दिन बाद सरकार ने सर्कुलर को सस्पेंड कर दिया था।
एक अधिकारी ने कहा, “एसबीआई ने 9.67 करोड़ रुपये और पीएनबी ने 13 करोड़ रुपये लौटाए, दोनों पर एक साल का ब्याज भी लगाया गया है, जो अदालती मामलों के नतीजे आने तक लागू रहेगा।”
यह सर्कुलर दो धोखाधड़ी वाले लेन-देन से जुड़ा था। पहला मामला कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड की ओर से 14 सितंबर, 2011 को PNB की राजाजीनगर शाखा में 25 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़ा था। जमा अवधि समाप्त होने के बाद भी, पीएनबी ने कथित तौर पर केवल 13 करोड़ रुपये ही जारी किए, जिसका पिछले एक दशक में कोई समाधान नहीं हुआ।
वहीं दूसरा मामला कर्नाटक स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से तत्कालीन स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (जो एसबीआई में विलय हो गया था) में 10 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़ा है, जिसका कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके एक निजी कंपनी के लोन का निपटान करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।