यस बैंक के शेयरों का प्रदर्शन बीते 7 महीनों में काफी खराब रहा है। इस दौरान इसके प्राइस 24 फीसदी लुढ़क गए हैं, जबकि निफ्टी 16 फीसदी चढ़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेगुलेटर ने यस बैंक में बड़ी हिस्सेदारी की बिक्री के प्लान को मंजूरी दे दी है। इस हिस्सेदारी के संभावित खरीदारों में कई विदेशी नाम शामिल हैं। लेकिन, अभी डील का ऐलान नहीं हुआ है। यस बैंक की सही दिशा में चल रहा है। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही के नतीजों से इसके संकेत मिले हैं। इसलिए रिस्क लेने वाले के लिए यह अच्छी डील हो सकती है।
ग्रोथ के रास्ते पर बढ़ रहा यस बैंक
Yes Bank अपनी वित्तीय सेहत ठीक करने की कोशिश कर रहा है। इसके पास पर्याप्त पूंजी है। इसकी डिपॉजिट ग्रोथ क्रेडिट की ग्रोथ से ज्यादा है। इसकी एसेट बुक डायवर्सिफायड है। बैंक की एसेट क्वालिटी में सुधार हो रहा है। हाल में तिमाही नतीजों से इसकी पुष्टि हुई है। पहली तिमाही में डिपॉजिट की ग्रोथ साल दर साल आधार पर 21 फीसदी रही। यह 15 फीसदी की क्रेडिट ग्रोथ से काफी ज्यादा है। हालांकि, बैंक कुल डिपॉजिट में रिटेल डिपॉजिट की हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसमें समय लग सकता है।
क्रेडिट ग्रोथ से ज्यादा है डिपॉजिट ग्रोथ
यस बैंक के कुल एडवान्सेज में कॉर्पोरेट एडवान्सेज की हिस्सेदारी दो साल पहले 38 फीसदी थी, जो अब घटकर 24.5 फीसदी पर आ गई है। हालांकि, FY25 की पहली तिमाही में कॉर्पोरेट और एसएमई एडवान्सेज में वृद्धि देखने को मिली। नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) की ग्रोथ सामान्य रही। नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) 2.4 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है। प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग कम होने और रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बढ़ने का असर बैंक के एनआईएम पर पड़ रहा है।
एनपीए में लगातार आ रही कमी
पहली तिमाही में बैंक का कोर नॉन-इंटरेस्ट इनकम 23 फीसदी बढ़ा। नॉन-इंटरेस्ट इनकम की ओवरऑल ग्रोथ ट्रेजरी लॉस की वजह से कम रही। कॉस्ट टू इनकम रेशियो 76.4 फीसदी पर बना हुआ है। यस बैंक की प्रोविजनिंग में भी कमी आ रही है। एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी को एनपीए की बिक्री के बाद बैंक का ग्रॉस एनपीए घटकर 1.7 फीसदी और नेट एनपीए 0.5 फीसदी पर आ गया है। प्रोविजन कवर 68 फीसदी है। ग्रॉस स्लिपेज में भी कमी आ रही है। हालांकि, इसमें रिटेल की हिस्सेदारी 88 फीसदी है। अनसेक्योर्ड प्रोडक्ट्स की वजह से रिटेल स्लिपेज बढ़ रहा है, जिस पर नजर रखने की जरूरत है।
रिटर्न ऑन एसेट 0.5 फीसदी
यस बैंक के मैनेजमेंट को अनसेक्योर्ड रिटेल सेगमेंट में दबाव के बारे में पता है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही रिटर्न ऑन एसेट (ROA) 0.5 फीसदी रहा। कमजोर इंटरेस्ट मार्जिन और कॉस्ट टू इनकम रेशियो ज्यादा होने की वजह से आरओए बढ़ाना चैलेंजिंग है। यस बैंक की डिपॉजिट फ्रेंचाइज किसी इनवेस्टर को अट्रैक्ट कर सकती है। इसलिए मौजूदा वैल्यूएशन लेवल पर भी यह डील अच्छी दिख रही है।
इनवेस्टर के लिए यस बैंक की डील फायदेमंद
ऐसा इनवेस्टर जो तेजी से बढ़ती इंडिया की इकोनॉमी में बैंकिंग सिस्टम में जगह बनाना चाहता है, वह यस बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकता है। इससे उसे बैंकिंग लाइसेंस के साथ ही ऐसे बैंक का नियंत्रण मिल जाएगा जिसका नेटवर्क और डिपॉजिट बेस काफी बड़ा है। इससे पहले बैंकिंग सेक्टर में बड़ी डील तब हुई थी जब कोटक महिंद्रा बैंक ने ING Vysya का अधिग्रहण किया था। यह डील आईएनजी वैश्य की ट्रेलिंग बुक वैल्यू के दोगुना पर हुई थी। दो गुनी बुक वैल्यू के आधार पर यस बैंक की वैल्यूएशन प्रति शेयर 29 रुपये बैठती है।