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Quick Commerce कंपनियों की कसेगी नकेल, Blinkit, Zomato और Big Basket जैसी कंपनियों को रेग्युलेट करने पर विचार

Quick Commerce : 10 मिनट में राशन डिलीवरी वाले धंधे पर सख्ती हो सकती है। क्विक कॉमर्स कंपनियों पर प्रिडेटरी प्राइसिंग (जानबूझ कर कीमतें कम रखने) और डीप डिस्काउंटिंग (भारी छूट) जैसे अनफेयर प्रैक्टिस का आरोप है। CNBC-आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक डिजिटल कंपीटीशन बिल के तहत इनके रेगुलेशन पर चर्चा जारी है। सरकार जल्द ही क्विक कॉमर्स कंपनियों (Quick Commerce) कंपनियों की नकेल कस सकती है।

Predatery प्राइसिंग और Deep डिस्कांउटिंग जैसे अनफेयर प्रैक्टिस का आरोप 

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक Blinkit, Zomato और Big Basket जैसी Quick Commerce कंपनियों को रेगुलेट करने पर सरकार विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक 10 मिनट में राशन डिलीवरी वाले कारोबार पर सरकार गंभीर है। इन पर Predatery प्राइसिंग और Deep डिस्कांउटिंग जैसे अनफेयर प्रैक्टिस का आरोप है। सूत्रों के मुताबिक डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के तहत इन कंपनियों को रेगुलेट करने पर चर्चा हो रही है। सरकार का जोर लोकल किराना स्टोर को लेवल प्लेइंग फील्ड देने पर है।

सरकार को किराना स्टोर से जुड़े कारोबारियों के रोजगार के संकट की चिंता

सूत्रों का कहना है कि सरकार को किराना स्टोर से जुड़े कारोबारियों के रोजगार के संकट की चिंता है। बिल के ड्राफ्ट पर फिलहाल इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप में चर्चा जारी है। गौरतलब है कि कोविड-19 के दौरान इन कंपनियों को काफी लोकप्रियता मिली। उसी समय इन कंपनियों ने एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में यह दावा किया कि वे 10 मिनट के अंदर सामान डिलीवर कर देंगी।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में ई-कॉमर्स काफी तेजी से बढ़ा है।तकनीकी प्रगति ने कारोबार करने के तरीके को बदल दिया है। ‘इंटरनेट रिटेल मार्केट’ के विकास के कारण पूरी मार्केटिंग और बिक्री की प्रणाली में भारी बदलाव आया है। कई ई-कॉमर्स रिटेलर जैसे कि Amazon, Flipkart, Myntra आदि पारंपरिक खुदरा स्टोर की तुलना में कम कीमत पर सामान उपलब्ध कराते हैं।

कड़ी प्रतिस्पर्धा और भारी बाहरी फंडिंग के कारण कई ई-कॉमर्स कंपनियां भारी छूट का बोझ उठाने में सक्षम हो जाती हैं। ऑनलाइन विक्रेताओं के प्रवेश और भारी छूट के चलन ने पारंपरिक खुदरा दूकानदारों पर निगेटिव असर डाला है। जिससे इस इंटरनेट रिटेल मार्केट की नैतिकता और वैधता के बारे में विवाद पैदा हो गया है। सरकार भी इस बात को लेकर चिंतित है।

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