निफ्टी ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यह सूचकांक लगातार 13 दिन चढ़कर बंद हुआ है। 50 शेयरों वाला यह सूचकांक 13 अगस्त से 2 सितंबर तक लगातार चढ़ा है। इस दौरान यह करीब 5 फीसदी उछला है। इससे पहले का रिकॉर्ड अक्तूबर 2007 का है, जब निफ्टी लगातार 11 दिन चढ़ा था। ब्रोकरेज फर्म सैमको सिक्योरिटीज ने इस बारे में एक रिपोर्ट पेश की है। उसने पहले के ऐसे मामलों के बारे में बताया है, जब निफ्टी लगातार 8 दिन से ज्यादा चढ़ने के साथ ऑल-टाइम हाई के एक फीसदी के दायरे में बना रहा।
ऐतिहासिक रूप से एक महीने का फॉरवर्ड रिटर्न 3 फीसदी की गिरावट दिखा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि इस तरह की तेजी के बाद थोड़े समय के लिए मार्केट में गिरावट आती है। इससे पहले निफ्टी 2007 में लगातार 11 दिन चढ़ा था। उसके बाद एक महीना, 2 महीने और 3 महीने का फॉरवर्ड रिटर्न क्रमश: 14 फीसदी, 13 फीसदी और 18 फीसदी था।
दो और तीन महीनों के फॉवर्ड रिटर्न को देखने पर मिलेजुले नतीजे दिखे। तीन बार गिरावट और तीन बार तेजी के उदाहरण देखने को मिले। औसतन दो और तीन महीने का फॉवर्ड रिटर्न एक-एक फीसदी की गिरावट दिखाता है। मार्केट की इस तेजी में अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी के साथ कुछ घरेलू फैक्टर का भी हाथ है।
एनालिस्ट्स का मानना है कि हालिया तेजी से पता चलता है कि मार्केट पर पॉजिटिव खबरों का असर पड़ चुका है। ऐसे में मार्केट में छोटे-बड़े शेयरों में करेक्शन दिख सकता है। नया निवेश लार्जकैप शेयरों में जाने की उम्मीद है। इससे जल्द निफ्टी नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। हालांकि, मार्केट का लंबी अवधि का आउटलुक पॉजिटिव लगता है।
एक्सिस सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन इकोनॉमी का प्रदर्शन उभरते बाजारों में सबसे अच्छा है। ग्लोबल मार्केट में उतारचढ़ाव के बावजूद इंडियन मार्केट में ग्रोथ जारी रहने की उम्मीद है। कंपनियों के अच्छे नतीजे, पूंजी जुटाने की अच्छी रफ्तार और कर्ज का बोझ कम करने की कोशिश से इंडियन कंपनियां अच्छी ग्रोथ हासिल करने की स्थिति में हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा ने कहा, ”हालिया तेजी के बाद सितंबर में कंसॉलिडेशन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन, हमें बाजार में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है। विदेश के साथ घरेलू स्थितियां भी मार्केट के अनुकूल दिख रही हैं।”