इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि भारत के मजबूत बुल मार्केट में करेक्शन की कई वजहें हैं। यह नोट फर्म के एमडी रिद्धम देसाई और उनकी टीम ने लिखा है। हालांकि, मॉर्गन स्टैनली ने फिर से यह भी कहा है कि करेक्शन का मतलब बुल मार्केट का अंत नहीं है। ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, भारत के मौजूदा बुल मार्केट ने अभी आधे स्तर को ही पार किया है।
इक्विटी मार्केट में हालिया तेजी से कई सूचकांकों की वैल्यूएशंस को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं। हालांकि, मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) का कहना है कि वैल्यूएशन अपने-आप में स्टॉक्स के करेक्शन की वजह नहीं है। नोट में कहा गया है, ‘हालांकि, ऊंची वैल्यूएशंस ऐसे समय में अहम भूमिका निभाती हैं, जब फंडामेंटल और अन्य इवेंट में गतिविधियां तेज होती हैं।’
मॉर्गन स्टैनली ने दो फंडामेंटल इवेंट्स पर नजर रखने की सलाह दी है। पहला, कोविड-19 के बाद पहले ग्रोथ में पहला संभावित स्लोडाउन, क्योंकि मॉनिटरी और पॉलिसी में सख्ती हो सकती है। मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, अगर ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती आती है, तो घरेलू अर्निंग में गिरावट के हैरान करने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं। दूसरा, आगामी विधानसभा चुनावों की वजह से सरकार के खर्च कै पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे इनफ्लेशन का जोखिम पैदा हो सकता है।
इसके अलावा, टेक्निकल फैक्टर्स की बात की जाए, तो ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि IPO की संख्या बढ़ने के साथ ही रिटेल इनवेस्टर्स का फोकस प्राइमरी मार्केट की तरफ शिफ्ट हो सकता है। इस घटनाक्रम पर नजर रखने की जरूरत है। मॉर्गन स्टैनली का यह भी कहना है कि भारत के बाहर, खास तौर पर अमेरिका में शेयरों की भारी बिकावली से हालात बदल सकते हैं।