नरनोलिया फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर शैलेंद्र कुमार का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 2024 की पहली तिमाही की अर्निंग ग्रोथ में सुस्ती के बाद दूसरी तिमाही में शानदार तेजी की उम्मीद है। हालांकि, उनके मुताबिक सावधानी बरतने की भी जरूरत है। कुमार ने कहा कि शॉर्ट टर्म में करेक्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इनवेस्टमेंट का लॉन्ग टर्म व्यू पॉजिटिव है।
उन्होंने कहा कि जहां सेक्टर आधारित निवेश की बात है, तो उनकी पसंद में बैंक, पावर सेक्टर कैपिटल एक्सपेंडिचर स्टॉक, ऑटोमेटिव और ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स, न्यू-एज बिजनेस, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, डेटा सेंटर ऑपर्चूनिटीज से जुड़े शेयर शामिल हैं। शैलेंद्र के पास फंड मैनेजमेंट और इनवेस्टमेंट एडवाइजरी में दो दशकों से भी ज्यादा का अनुभव है।
मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में उनका कहना था कि मार्केट में प्राइस करेक्शन होगा या यह कंसॉलिडेशन के दौर में रहेगा, यह आने वाले नए घटनाक्रम पर निर्भर करेगा। कुमार ने कहा कि पिछले दो फाइनेंशियल ईयर के दौरान प्रति शेयर निफ्टी की अर्निंग में 20 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि फाइनेंशियल ईयर 2025 के लिए अनुमान अब घटाकर तकरीबन 10 पर्सेंट कर दिया गया है। लिहाजा, लॉन्ग टर्म में भारतीय बाजार में बुलिश ट्रेंड की संभावना बनी हुई है जबकि शॉर्ट टर्म में सावधानी बरतने की जरूरत है।
यह पूछे जाने पर क्या फेडरल रिजर्व के संभावित फैसले के अलावा बाजार के लिए कोई और ट्रिगर है, उन्होंने कहा कि शेयर बाजार के लिए अमेरिकी चुनाव भी बेहद अहम है। वित्तीय बाजारों, करेंसी, कमोडिटीज, बॉन्ड और इक्विटीज पर इसका व्यापक असर होगा। निकट भविष्य में एक और अहम फैक्टर अमेरिकी एंप्लॉयमेंट डेटा होगा, जिसका असर निकट भविष्य में बाजार पर देखने को मिल सकता है। एंप्लॉयमेंट डेटा 6 सितंबर को आएगा।
शैलेंद्र कुमार का कहना था कि घरेलू स्तर पर लिक्विडिटी की स्थिति बेहतर है और आने वाले समय में इसमें बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं नजर आ रही है। इसके अलावा, हालिया ब्लॉक डील में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की दिलचस्पी से ऐसे निवेशकों की बाजार में वापसी के संकेत मिल रहे हैं।