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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की इन 30 सीरीज में समय से पहले निकाल सकेंगे पैसा, जानें इसमें आपको फायदा होगा या घाटा?

Sovereign Gold Bonds: अगर आपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) में निवेश किया है, तो आपके लिए यह खबर अहम है! अगले 6 महीनों (अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक) तक कम से 30 सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स स्कीमें प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन के लिए योग्य हो जाएंगी। प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन का मतबल होता है समय से पहले से निकासी। यानी अगर आप इन स्कीमों से अपने निवेश को समय से पहले ही निकालना चाहते हैं, तो अब आप ऐसा कर सकते हैं। इन बॉन्ड्स ने 5, 6 और 7 साल की अवधि पूरी कर ली है, और अब आप इन्हें आरबीआई की प्रीमेच्योर एग्जिट विंडो के जरिए कैश करा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या आपको इन्हें बेच देना चाहिए या होल्ड करना चाहिए?

प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन में है टैक्स छूट!

अगर आप आरबीआई की प्रीमेच्योर एग्जिट विंडो का इस्तेमाल करके अपने SGBs को सरेंडर करते हैं, तो आपके कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन अगर आप इन बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज पर बेचते हैं, तो आप कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आएंगे। इसलिए सही समय पर बॉन्ड्स को सरेंडर करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

RBI हर छह महीने में यह सूची जारी करता है, जिसमें बताया जाता है कि कौन से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन के लिए योग्य हो गए हैं। अगले छह महीनों में, 30 सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की सीरीज प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन के लिए तैयार होंगी।

SGBs: सोने का बेहतर विकल्प

SGBs, भारत सरकार की गारंटी वाला गोल्ड बॉन्ड हैं। इसे आरबीआई ने सबसे पहले 2015 में लॉन्च किया था। ये 8 साल की अवधि के बॉन्ड्स होते हैं, लेकिन इनमें पांच साल का लॉक-इन होता है। आप इन्हें स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के जरिए खरीद या बेच सकते हैं। हालांकि, इनमें अधिकतर बॉन्ड्स की ट्रेडिंग बहुत कम होती है।

RBI की ओर दी जाने वाली प्रीमैच्योर निकासी की सुविधा के जरिए आप 5वें, छठे, और सातवें साल के अंत में अपने बॉन्ड्स को रिडीम कर सकते हैं। इस दौरान आपका रिडेम्प्शन प्राइस इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की ओर से जारी की गई सोने की पिछले हफ्ते की औसत कीमत के आधार पर तय होगा।

पिछले रिडेम्प्शन ट्रेंड्स से क्या सीख सकते हैं?

2015 से लेकर अब तक, आरबीआई ने 67 SGB स्कीमों को लॉन्च किया हैं और 14.7 करोड़ यूनिट्स जारी की हैं। अब तक, आरबीआई ने 61 प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन की सुविधा दी है, जिसमें औसतन 17,000 यूनिट्स रिडीम हुई हैं। दिलचस्प बात यह है कि 5वें और छठे साल में कम संख्या में यूनिट्स सरेंडर की गईं, जबकि सातवें साल में यह संख्या अधिक थी।

यह बताता है कि निवेशक की दिलचस्पी गोल्ड को लंबे समय तक होल्ड करने में हैं। इस साल भी प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन विंडो में सरेंडर की संख्या लगभग कम ही रही है, जो गोल्ड की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत देती है।

आपको अपने SGBs से प्रीमैच्योर निकासी करना चाहिए या नहीं?

सोना हमेशा से महंगाई और आर्थिक अनिश्चितताओं के खिलाफ एक सुरक्षित निवेश माना गया है। MyWealthGrowth.com. के को-फाउंडर, हर्षद चेतनावाला ने कहा कि अगर आप गोल्ड में निवेश को केवल रिटर्न्स के नजरिए से देख रहे हैं और पिछले कुछ सालों में गोल्ड की कीमतें बढ़ी हैं, तो प्रीमेच्योर रिडेम्प्शन आपके लिए सही हो सकता है। लेकिन अगर आप अपने पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको SGBs को होल्ड करना चाहिए।

वहीं Fisdom के रिसर्च हेड, नवीन करकेरा का कहना है कि वह गोल्ड को लेकर अभी भी बुलिश हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में जल्द कटौती किए जाने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो गोल्ड के दाम में फिर से रैली आ सकती है। अगर आपका SGB निवेश आपके पोर्टफोलियो का 10% से अधिक हो गया है, तो आप कुछ लाभ बुक कर सकते हैं। ऐसा नहीं होने पर बेहतर यही है कि आप इसे होल्ड करते रहें।

डिस्क्लेमरः stock market news पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। stock market news यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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