हल्दी के दाम 4 महीने से गिर रहे हैं। हल्दी में कोई रणनीति काम नहीं आ रही है। भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत हल्दी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। भारत हल्दी का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर भी है। चार महीनों में हल्दी के दाम 34% गिरे हैं। इसकी कीमतों में लगातार चौथे महीने गिरावट जारी है। 1 साल में इसके दाम 11% गिर चुके हैं। ऐसे में सवाल है कि हल्दी में कब लौटेगी तेजी? बाजार जानकारों का कहना है कि बुआई बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना है। एक्सपोर्ट मांग घटने से भी दाम गिर रहे हैं। हालांकि बाजार को त्योहारों में मांग बढ़ने की उम्मीद है।
इस मुद्दे पर बात करते हुए भारत सरकार के हॉर्टिकल्चर कमिश्नर प्रभात कुमार ने कहा कि भारत में मसालों का पुराना इतिहास है। हल्दी का इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा है। हल्दी के इस्तेमाल से इम्यूनिटी बढ़ती है। कोरोना काल में हल्दी की मांग काफी बढ़ी। हल्दी के ग्लोबल उत्पादन में भारत की 78% हिस्सेदारी है। हल्दी के वैल्यू एडेड प्रोडक्ट का भी एक्सपोर्ट होता है। भारत में हल्दी का इंपोर्ट भी होता है। इंपोर्ट की हल्दी को प्रोसेस कर एक्सपोर्ट करते हैं। IISR मसालों पर काम करता है। IISR यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइसेज रिसर्च। दूसरी संस्थाएं भी मसालों के विकास पर काम करती हैं।
प्रभात कुमार ने आगे बताया कि हल्दी की खेती के लिए सरकार सब्सिडी देती है। देश का रिसर्च, डेवलपमेंट इकोसिस्टम काफी अच्छा है। हल्दी की खेती देश के 20 राज्यों में होती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा हल्दी की बुआई होती है। तेलंगाना में हल्दी का उत्पादन ज्यादा होता है। हल्दी की उन्नत किस्मों का विकास हुआ है। सरकार उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने आगे कहा कि हॉर्टिकल्चर का देश में काफी अच्छा भविष्य है। देश में 28 मिलियन हेक्टर में हल्दी की बुआई होती है। हल्दी का उत्पादन 352 मिलियन टन हुआ है। रिसर्च संथाओं, किसानों की मेहनत से उत्पादन बढ़ा है। कटाई में होने वाले नुकसान को कम करने की कोशिश जारी है। क्लस्टर आधारित उत्पादन को बढ़ा दिया जा रहा है। क्लस्टर में निजी और सरकारी दोनों निवेश होगा।। क्लस्टर आधारित खेती से किसानों को फायदा होगा। कटाई में 5-25% तक यील्ड को नुकसान होता है।
प्रभात कुमार ने आगे कहा कि इस साल का मॉनसून सामान्य से ज्यादा रहा है। मॉनसून सामान्य से ज्यादा होने पर बुआई बढ़ती है। मॉनसून अच्छा होने से उत्पादन ज्यादा होने की उम्मीद है। अच्छे मॉनसून के कारण प्याज की खेती भी बढ़ी है।
हल्दी में कीमतों में देखने को मिलेगा उतार-चढ़ाव
उधर मैकडोनाल्ड पेल्ज के सुमित गुप्ता का कहना है कि हल्दी में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है। दुनिया में मसालों की मांग बढ़ रही है। पश्चिम के देशों में मसालों की मांग बढ़ी है। मसालों की बढ़ती मांग एक क्रांति की तरह है। मसालों का इस्तेमाल कई तरीकों से हो रहा है। लोगों में मसालों के प्रति जागरुकता बढ़ी है। कोरोना के बाद लोग सेहत पर ध्यान दे रहे हैं। मांग बढ़ने के बाद भी सप्लाई बढ़ी नहीं है। एन नीनों के कारण पिछले साल हल्दी का उत्पादन कम हुआ था। हल्दी का क्लोजिंग स्टॉक करीब खत्म हो गया है। मॉनसून अच्छा रहने से बुआई में तेजी आई है। हल्दी में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। हल्दी में पिछले साल की तेजी नहीं दिखेगी।
मक्के की खेती बढ़ने से हल्दी की खेती बढ़ी
सुमित गुप्ता ने आगे कहा कि मक्के की खेती बढ़ने से हल्दी की खेती बढ़ी है। मक्के के साथ ही हल्दी की बुआई होती है। मक्के की कीमतें बढ़ने से भी हल्दी को सपोर्ट मिलता है। इससे किसान ज्यादा बुआई के लिए प्रेरित हो रहे हैं। अच्छी बारिश से उत्पादन हमेशा बढ़ता है। देश हल्दी के सामान्य उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। उत्पादन बढ़ने से देश में हल्दी का स्टॉक बनेगा। उत्पादन बढ़ने से किसानों को फायदा होगा।