Ola Electric Share Price: ओला इलेक्ट्रिक के आईपीओ की भले ही 9 अगस्त को सपाट लिस्टिंग हुई, लेकिन उसके बाद से कंपनी के शेयर रॉकेट की स्पीड से भागे हैं। एनालिस्ट्स ने इलेक्ट्रिक-व्हीकल को पॉलिसी के स्तर पर सरकार से लगातार मिल रहे सपोर्ट, कंपनी की लागत घटाने की क्षमता और बैटरी उत्पादन में कदम रखने के ऐलान को देखते हुए इस शेयर पर बड़ा दांव लगाया है। मंगलवार 20 अगस्त को कारोबार के दौरान यह शेयर इंट्राडे में 157.53 रुपये के स्तर तक चला गया है, जो इसका अबतक का सबसे उच्चतम स्तर है। यह इसके 76 रुपये के आईपीओ प्राइस से लगभग दोगुना रिटर्न है। हांलाकि फिर बाद में इस शेयर में मुनाफावसूली देखने को मिली और यह 6 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ। आज 21 अगस्त को भी कंपनी के शेयर लाल निशान में खुले।
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में ओला इलेक्ट्रिक सबसे बड़ी कंपनी है। लेकिन दोपहिया वाहन बनाने वाले दूसरी कंपनियां अभी भी इस नई कंपनी के लिए चुनौती पेश कर सकती हैं। आइए ओला इलेक्ट्रिक की हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो जैसी दोपहिया वाहन बनाने वाली दूसरी दिग्गज कंपनियों के साथ तुलना करके देखते हैं-
1. मार्केट शेयर
ओला इलेक्ट्रिक के पास फिलहाल इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में सबसे अधिक मार्केट शेयर है। वहीं दूसरे स्थान पर टीवीएस मोटर्स का कब्जा है। ओला के पास विस्तार की ठोस योजना है, लेकिन मार्केट शेयर को बनाए रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि इस इंडस्ट्री में पहले से मौजूदा कंपनियां किस तरह से खेल खेलने का फैसला करती हैं।
एनालिस्ट्स का मानना है कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद कंपनी की ग्रोथ संभावनाएं पॉजिटिव दिख रही हैं। केआर चोकसी की लीड एनालिस्ट, उन्नति भावेकर (जाधव) ने मनीकंट्रोल को बताया, “बैटरी सेल के देश में उत्पादन और PLI स्कीम के तहत मिलने वाले सरकारी प्रोत्साहनों से कंपनी को छोटी से मध्यम अवधि में लाभ मिलने की उम्मीद है।”
2. वित्तीय सेहत
मौजूदा वित्त वर्ष की जून तिमाही में ओला इलेक्ट्रिक का शुद्ध घाटा सालाना आधार पर 30 प्रतिशत बढ़कर 347 करोड़ रुपये रहा। वहीं इसका रेवेन्यू इस दौरान 32 प्रतिशत बढ़कर 1,644 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि तिमाही आधार पर कंपनी का घाटा 16 प्रतिशत कम हुआ है क्योंकि मार्च तिमाही में इसने 416 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था।
इस बीच, कंपनी को वित्त वर्ष 2024 में 1,584 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जो इसके पिछले वित्त वर्ष में हुए 1,472 करोड़ रुपये के घाटे से अधिक है। इसके अलावा, कंपनी का कैश फ्लो भी नेगेटिव है और इसका कारोबरी इतिहास भी सीमित है।
यह जरूर है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) ईवी एक उभरता हुआ सेगमेंट है और कंपनी अभी भी निवेश के चरण में है, इसलिए यह अभी तक मुनाफे पर नहीं पहुंच पाई है।
दूसरी ओर बजाज ऑटो का जून तिमाही में शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 18 प्रतिशत बढ़कर 1,941.79 करोड़ रुपये रहा। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन कंपनी, हीरो मोटोकॉर्प का शुद्ध मुनाफा 36 प्रतिशत बढ़कर 1,122.63 करोड़ रुपये रहा। जबकि टीवीएस मोटर्स का जून तिमाही में शुद्ध लाभ 23 प्रतिशत बढ़कर 577 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वैल्यूएशन
उन्नति का मानना है कि चूंकि कंपनी घाटे में चल रही है, इसलिए इसके प्राइस मल्टीपल की तुलना करना सही नहीं होगा। कंपनी का मौजूदा वैल्यूएशन इसके प्राइस-टू-सेल्स (P/S) रेशियो के 6.7x पर है।
प्रभुदास लीलाधर ने कंपनी पर हाल ही में लिखे एक नोट में कहा, “ओला ने इलेक्ट्रिक स्कूटर मार्केट में अपने लिए एक मजबूत स्थिति बनाई है और अब यह बैटरी कारोबार में खुद को एक प्रमुख कंपनी बनाने की प्रक्रिया में है। कंपनी की बिजनेस आउटलुक और ग्रोथ संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं, लेकिन मुनाफे की ओर बढ़ने के सफर पर नजर रखनी चाहिए। हमारा मानना है कि इसके स्कूटर और बैटरी बिजनेस को ब्रेक-ईवन और टिकाऊ मुनाफे तक पहुंचने में 2-3 साल लग सकता है।”
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