स्टॉक मार्केट्स की करीबी नजरें महाराष्ट्र में विधासभा चुनावों पर रहेंगी। ये चुनाव इस साल नवंबर में होने वाले हैं। ब्रोकरेज फर्म मैक्वायरी ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। उसने कहा है कि इस साल लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद महाराष्ट्र के विधासभा चुनावों की अमहियत बढ़ गई है। इस बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अपने दम पर सरकार बनाने लायक सीटें नहीं मिली। हालांकि, कुछ दलों की मदद से केंद्र में एनडीए की सरकार बनी है।
मैक्वायरी ने कहा है कि कई वजहों से स्टॉक मार्केट्स के निवेशकों की नजरें महाराष्ट्र के चुनावों पर रहेंगी। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। महाराष्ट्र लोकसभा सीटों की संख्या के लिहाज से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। वहां लोकसभा की 48 सीटें हैं। भारत की जीडीपी में महाराष्ट्र की 13-14 फीसदी हिस्सेदारी है। महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से 30 फीसदी ज्यादा है। इंडिया के कुल एक्सपोर्ट में महाराष्ट्र की 16 फीसदी हिस्सेदारी है। केंद्र सरकार की मान्यता वाले स्टार्टअप में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 19 फीसदी है। एफडीआई अट्रैक्ट करने के मामले में भी महाराष्ट्र देश में पहले पायदान पर है।
महाराष्ट्र में मुख्य मुकाबला महायुति और महाअघाड़ी के बीच है। महायुति की अगुवाई बीजेपी कर रही है, जबकि महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस सहित कई दल हैं। इस साल लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी का प्रदर्शन महायुति से बेहतर रहा। अभी महाराष्ट्र में महायुति की सरकार है। विधानसभा चुनावों में चार क्षेत्रीय दलों की बड़ी भूमिका होगा। इनमें शिवसेना (यूबीटी), शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजीत पवार) और एनसीपी (शरद) शामिल हैं।
मैक्वायरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “हमारा मानना है कि इस बार ओपिनियन पोल, एक्जिट पोल और पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों के ज्यादा मायने नहीं होंगे। इसकी वजह यह है कि मतदाताओं के सामने दो की जगह चार क्षेत्रीय दलों का विकल्प है। इन चारों दलों की विचारधारा और सोच के बीच ज्यादा फर्क नहीं है।” दो क्षेत्रीय दलों की कमान तो एक ही परिवार के दो लोगों के पास है।
इस साल लोकसभा चुनावों के बाद पेश किए गए महाराष्ट्र के बजट में उप मुख्यमंत्री ने कई लोकलुभावन ऐलान किए। इनमें सबसे प्रमुख कम इनकम वाले परिवारों की महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर की स्कीम है। मैक्वायरी का कहना है कि इस स्कीम से राज्य का फिस्कल डेफिसिट 2.6 फीसदी को पार कर जाएगा, जिसका अनुमान FY25 के लिए लगाया गया है। केंद्र सरकार राज्यों को 3 फीसदी तक फिस्कल डेफिसिट (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट ) की इजाजत देती है। पावर सेक्टर में रिफॉर्म्स होने पर अतिरिक्त 0.5 फीसदी फिस्कल डेफिसिट की इजाजत है।
निवेशकों को चिंता है कि अगर महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनती है तो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर फोकस घट सकता है। उनका मानना है कि बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स पर नजर बनाए रखना जरूरी है, जिसका प्लान पहले से तैयार है। ये प्रोजेक्ट्स कंपनियों के लिए काफी मायने रखते हैं।