एक समाचार एजेंसी में छपी खबर के मुताबिक, मार्केट रेगुलेटर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अपने 7 साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू हासिल करती रहीं जिसे रेगुलेटरी अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन माना जा सकता है। न्यूज एजेंसी को मिले दस्तावेजों से यह जानकारी मिली है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप से जुड़ी बुच की जांच में ‘हितों के टकराव’ का आरोप लगाया है। इसके लिए बुच के पिछले निवेश का हवाला दिया गया है।
हालांकि, बुच ने इस सिलसिले में 11 अगस्त को जारी अपने बयान में इन आरोपों से साफ तौर पर इनकार किया था और इसे ‘चरित्र हनन’ की कोशिश करार दिया था। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अपने ताजा रिपोर्ट में दो कंसल्टेंसी फर्म का भी जिक्र किया था, जिनका संचालन बुच और उनके पति द्वारा किया जाता है। इन फर्मों में सिंगापुर की अगोरा पार्टनर्स (Agora Partners) और भारत की अगोरा एडवाइजरी (Agora Advisory) शामिल हैं।
बुच ने 2017 में सेबी ज्वाइन किया था और मार्च 2022 में उन्हें इस संस्था के प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से मिले दस्तावेजों के मुताबिक, इन 7 वर्षों में अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड ने 3.71 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया। इस कंपनी में बुच की 99 पर्सेंट हिस्सेदारी है। बुच की होल्डिंग संभवतः 2008 की सेबी की उस पॉलिसी का उल्लंघन करती है, जो अधिकारियों को लाभ का पद ग्रहण करने और अन्य प्रोफेशनल गतिविधियों से सैलरी या प्रोफेशनल फीस हासिल करने पर रोक लगाती है।
बुच ने अपने बयान में कहा है कि कंसल्टेंसी फर्मों ने सेबी को यह जानकारी दी थी कि इन फर्मों का इस्तेमाल धवल बुच (उनके पति) 2019 में यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद कंसल्टिंग बिजनेस के लिए कर रहे थे। बुच और सेबी के प्रवक्ता ने इस सिलसिले में किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया।
हिंडनबर्ग ने सिंगापुर के कंपनी रिकॉर्ड का हवाला देते हुए बताया था कि माधवी बुच ने अगोरा पार्टनर्स के अपने सभी शेयर मार्च 2022 में अपने पति को ट्रांसफर कर दिए थे। हालांकि, मार्च 2024 को खत्म हुए वित्त वर्ष से जुड़े कंपनी रिकॉर्ड के मुताबिक, बुच के पास अभी भी भारतीय कंसल्टिंग फर्म में शेयर मौजूद हैं।