विदेशी निवेशकों ने अगस्त में भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली जारी रखी हुई है। उन्होंने इस महीने अब तक कुल 21,101 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इसका कारण जापान की येन मुद्रा में ‘कैरी ट्रेड’ बंद होना, अमेरिका में मंदी की आशंका और वैश्विक स्तर पर बढ़ता तनाव है। कैरी ट्रेड का मतलब है निम्न ब्याज दर वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश के एसेट्स में निवेश करना। बैंक ऑफ जापान ने मुख्य ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत तक की वृद्धि की है। इसके बाद येन ‘कैरी ट्रेड’ के समाप्त होने से पूंजी निकासी शुरू हुई।
आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने इस महीने 1-17 अगस्त तक शेयर बाजार से 21,201 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह भी अनुमान है कि जून और जुलाई में शुद्ध बायर होने के बाद, कुछ FPI ने पिछली तिमाहियों में मजबूत तेजी के बाद मुनाफावसूली का विकल्प चुना होगा। इसके अलावा, कंपनियों के मिले-जुले तिमाही परिणाम और अपेक्षाकृत हाई वैल्यूएशन ने भारतीय शेयर बाजार को कम आकर्षक बना दिया है। एक कारण इक्विटी इनवेस्टमेंट पर कैपिटल गेन्स टैक्स में बढ़ोतरी भी हो सकता है।
जून और जुलाई में कितना किया था निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) आर्थिक वृद्धि निरंतर बने रहने, सुधार जारी रहने, कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से बेहतर रहने और राजनीतिक स्तर पर स्थिरता की उम्मीद में इस साल जून और जुलाई महीनों में बायर रहे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, FPI ने जुलाई में शुद्ध रूप से शेयरों में 32,365 करोड़ रुपये डाले। इससे पहले राजनीतिक स्थिरता और बाजारों में तेज उछाल के कारण जून में उन्होंने शेयरों में 26,565 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
FPI ने चुनावी नतीजों को लेकर असमंजस के बीच मई में शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे। मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की चिंता के बीच अप्रैल में उन्होंने 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। FPI ने इस साल अब तक इक्विटी शेयर में 14,364 करोड़ रुपये का निवेश किया है।