दुनिया भर के देशों में मंकीपॉक्स यानि mpox तेजी से बढ़ रहा है। खतरा इतना गंभीर है कि जल्द ही इसे ग्लोबल पैनडेमिक घोषित किया जा सकता है। एकबार दुनिया को इस बात का डर सता रहा है कि क्या मंकीपॉक्स भी कोरोनावायरस की तरह परेशान कर सकता है। मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीका से हुई थी। पहले जहां यह माना जा रहा था कि इस बीमारी का खतरा सिर्फ गरीबों तक है वहीं अब यह महामारी बन सकता है।
Mpox की क्या है वजह?
Mpox को ही पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था। यह एक तरह का वायरस इंफेक्शन है जो बहुत हद तक स्मॉलपॉक्स की तरह होता है। अफ्रीका में सालों से यह पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम बनी हुई है। मंकीपॉक्स वायरस का पता पहली बार 1958 में चला था। लेकिन पहली बार किसी इनसान में मंकीपॉक्स का केस 1970 में देखा गया था
Mpox के क्या हैं लक्षण?
आइए अब जानते हैं कि Mpox के लक्षण क्या हैं। Mpox वायरस का संक्रमण होने के एक से 21 दिनों के भीतर इसके लक्षण साफ नजर आने लगते हैं। Mpox के लक्षण 2-4 हफ्ते तक नजर आ सकते हैं। इसके सामान्य लक्षण की बात करें तो पूरे शरीर पर बड़े-बड़े दाने, बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, थकान और सूजे लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
Mpox में फ्लू के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। इस बीमारी में शरीर पर जो दाने होते हैं वो मवाद से भरे होते हैं। कई बार ये लक्षण सामान्य होते हैं तो कई बार ये जानलेवा भा साबित होते हैं।
महिलाओं या ऐसे लोग जिनमें प्रतिरोधक क्षमता कम हैं उनमें मंकीपॉक्स होने का खतरा ज्यादा है। कुछ लोगों को rectum (गुदा) में दर्दनाक सूजन और पेशाब में मुश्किल होती है।
Mpox कैसे फैलता है?
इस बीमारी का सबसे बड़ा खतरा ये है कि यह इनसानों और जानवरों, दोनों के संपर्क में आने से फैल सकता है। जब आप किसी संक्रमित शख्स के घाव, मुंह या गुप्तांग के सीधे संपर्क में आता है तो यह संक्रमण फैलता है।
WHO के मुताबिक, यह वायरस जिन चीजों की वजह से फैल सकता है उसकी लिस्ट नीचे दी गई है।
संक्रमित व्यक्ति के साथ आमने-सामने खड़े होकर बात करने पर
संक्रमित स्कीन के संपर्क में आने पर या शारीरिक संबंध बनाने पर
मुंह से मुंह मिलाकर किस करने पर
मुंह से त्वचा का संपर्क होने पर
Mpox लंबे समय तक किसी संक्रमित शख्स के नजदीक रहने पर भी होता है
इसके अलावा अगर कोई संक्रमित जानवर किसी इनसान को काटता है तो भी उसे Mpox का संक्रमण हो सकता है।
Mpox से क्या है बचाव?
इस बीमारी से बचने का सबसे बड़ा बचाव है कि आप संक्रमित व्यक्ति की देखरेख इस तरह करें ताकि उसके संपर्क में आकर कोई संक्रमित ना हो। इस बीमारी में सबसे ज्यादा ध्यान मवाद से भरे दानों को ठीक करने पर होना चाहिए। अगर आप संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो 4 दिन के भीतर टीका लगवाकर बच सकते हैं। इस बीमारी से जरूरी है कि जिसे संक्रमण हुआ हो उसे अलग रखा जाए।