Hindenburg Research Report: हिंडनबर्ग रिसर्च के नए खुलासे के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है और सरकार निशाने पर है. कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सेबी की प्रमुख माधवी बुच के इस्तीफे की मांग की और मामले की संयुक्त संसदीय समिति (GPC) से जांच होनी चाहिए. दूसरी तरफ, भाजपा ने जेपीसी से जांच कराने की मांग को खारिज कर दिया है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सेबी ने भी सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन विपक्ष मानने को तैयार नहीं है. इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने भी इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने सेबी प्रमुख के पोस्ट पर किसी ईमानदार व्यक्ति की नियुक्ति की मांग की है.
किसी ईमानदार को बनाया जाए SEBI प्रमुख
सुब्रमण्यम स्वामी ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को हटाने की मांग की है. सोशल मीडिया ‘X’ पर किए एक पोस्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, सेबी अध्यक्ष के खिलाफ हितों के टकराव का मामला दूसरी बार उठा है. वैश्विक निवेशकों के बीच भारत की छवि बचाने के लिए उनकी जगह किसी ईमानदार व्यक्ति को लाया जाना चाहिए. मेरी एक्सिस जनहित याचिका (PIL) सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रथम पीठ में लिस्ट है. मैंने पहले ही हितों के टकराव को लेकर हलफनामा दायर कर दिया है.
क्या है मामला?
बता दें कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने शनिवार को मार्केट रेगुलेटर Sebi की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अदाी से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच के पास उस ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है, जिसका अदानी समूह के प्रमुख गौतम अदाी के बड़े भाई विनोद अदानी ने समूह में कथित धन की हेराफेरी और शेयरों के दाम बढ़ाने को लेकर इस्तेमाल किया.
हिंडनबर्ग आरोपों के बाद बुच ने दिया बयान
हालांकि, सेबी प्रमुख ने इस आरोप को ‘आधारहीन’ और ‘चरित्र हनन’ का प्रयास बताया है जबकि अदानी समूह ने कहा कि उसका बुच के साथ कभी कोई व्यावसायिक संबंध नहीं रहा. आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा था कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति और मार्च ,2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था. ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे. सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष ‘निष्क्रिय’ हो गए. सेबी ने भी अपनी चेयरपर्यन का बचाव किया. दो पन्ने के बयान में कहा गया कि बुच ने समय-समय पर प्रासंगिक खुलासे किए हैं और उन्होंने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से भी खुद को अलग रखा है. अदाी समूह ने भी सेबी प्रमुख के साथ किसी भी तरह के वाणिज्यिक लेन-देन से इनकार किया है
वहीं, एसेट मैनेजमेंट यूनिट 360वन (जिसे पहले IIFL वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से बयान में कहा कि बुच तथा उनके पति धवल बुच का IPE-प्लस फंड 1 में निवेश कुल निवेश का 1.5 फीसदी से भी कम था और उसने अदानी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था.