सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की 96,120 करोड़ रुपये मूल्य की यूनिट्स पर सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी का असर पड़ सकता है। सिर्फ सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स के निवेशक मायूस नहीं है बल्कि गोल्ड ईटीएफ के निवेशकों का भी यही हाल है। इसकी वजह यूनियन बजट में गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने का सरकार का ऐलान है। इस ऐलान से गोल्ड की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली थी।
पिछले कुछ सालों में फिजिकल गोल्ड की जगह पेपर गोल्ड में निवेश करने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी थी। लेकिन, बजट में इंपोर्ट ड्यूटी घटने के बाद सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ जैसे प्रोडक्ट्स की चमक घट सकती है। अब तक सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की 67 किस्त जारी कर चुकी है। पहली किस्त 30 नवंबर, 2015 को जारी की गई थी। अब तक जारी की गई कुल यूनिट्स की वैल्यू 72,274 करोड़ रुपये बैठती है।
इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने 5 अगस्त, 2016 को जारी किए गए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक यूनिट की कीमत 6,938 रुपये ऐलान किया। यह 12.6 फीसदी XIRR रिटर्न है। 8 साल पहले जारी इस किस्त में प्रति ग्राम सोने की कीमत 3,119 रुपये रखी गई थी। 22 जुलाई के बाद से गोल्ड की कीमत इस किस्त की मैच्योरिटी तारीख तक करीब 5 फीसदी गिर चुकी है। अगले छह महीनों में एसजीबी की और दो किस्ते मैच्योर करेंगी।
एसजीबी का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। इसकी कीमतें फिजिकल गोल्ड की कीमत से लिंक्ड होती है। एसजीबी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं। बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के ऐलान के बाद से एसजीबी की कीमतों में कमजोरी दिख रही है। उदाहरण के लिए एसबीजी 2016-17 सीरीज IV की कीमत 22 जुलाई से 9 अगस्त के बीच 8 फीसदी तक गिरी है। एसजीबी की दूसरी किस्तों में भी ऐसी ही कमजोरी देखने को मिली है। इसका असर निवेशकों के रिटर्न पर पड़ा है।
एसजीबी को मैच्योरिटी से पहले भी रिडीम कराया जा सकता है। इसे 5 साल के बाद रिडीम कराया जा सकता है। अगले छह महीनों में एसजीबी की ऐसी 22 किस्ते हैं, जिन्हें मैच्योरिटी से पहले रिडीम कराया जा सकेगा। अगर गोल्ड की कीमतों में कमजोरी बनी रहती है तो निवेशक इसे मैच्योरिटी से पहले रिडीम करा सकते हैं। सरकार ने फिजिकल गोल्ड में निवेश का विकल्प लोगों को देखने के लिए एसजीबी शुरूकिया था। 2015 में लॉन्च के बाद से लोगों ने एसजीबी में अच्छी दिलचस्पी दिखाई थी। लेकिन, अब इसकी चमक घटती दिख रही है।