अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदार तो मिल गया है लेकिन अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी हो रही है। यह मामला देरी की वजह से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास जा चुका है। अब एनसीएलटी ने गुरुवार को रिलायंस कैपिटल के खरीदार यानी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) को एक अहम निर्देश दिया है।
क्या है रिलायंस कैपिटल के लिए निर्देश
इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स को रिलायंस कैपिटल की समाधान योजना के तहत एक विशेष एस्क्रो खाते में 2,750 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया। हिंदुजा की कंपनी आईआईएचएल को यह रकम जमा करने के लिए 48 घंटे का वक्त मिला है। न्यायाधिकरण की मुंबई पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी)/ विस्ट्रा एस्क्रो खाते में जमा धन पर ब्याज लेनदारों का होगा।
हिंदुजा समूह की याचिका
बता दें कि न्यायमूर्ति वीरेंद्रसिंह जी बिष्ट और न्यायमूर्ति प्रभात कुमार की पीठ हिंदुजा समूह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में न्यायाधिकरण के 23 जुलाई के आदेश में संशोधन और समाधान योजना के दायित्वों को पूरा करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की गई। आईआईएचएल को निगरानी समिति के सामने कर्ज के जरिये 7,300 करोड़ रुपये जुटाने की शर्तों का खुलासा करने को भी कहा गया है।
10 अगस्त तक जमा करना होगा
आईआईएचएल की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए न्यायाधिकरण ने कंपनी को 10 अगस्त तक समाधान योजना लागू करने और गिफ्ट सिटी स्थित विस्तारा के यस बैंक एस्क्रो खाते में 2,500 करोड़ रुपये और मुंबई स्थित विस्तारा के यस बैंक एस्क्रो खाते में 250 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया। आईआईएचएल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आग्रह किया कि यदि एनसीएलटी अपने आदेश में संशोधन पर विचार नहीं करता है, तो प्रशासक, सीओसी और आईआईएचएल को रिलायंस कैपिटल के लिए समाधान योजना को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सिंघवी ने एक ‘अनुपालन हलफनामा’ पेश किया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 2,750 करोड़ रुपये का पूरा इक्विटी हिस्सा जमा कर दिया है। हालांकि यह राशि अशोक हिंदुजा, हर्ष हिंदुजा और शोम हिंदुजा के खातों में जमा की गई है। प्रशासक ने तर्क दिया कि आईआईएचएल आदेश में मामूली बदलाव की मांग कर रहा थी और योजना को लागू करने की जिम्मेदारी उन पर डालने की कोशिश कर रहा थी, जबकि यह समाधान योजना के अनुरूप नहीं है।