पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के लिए नई और पुरानी दोनों रिजीम का विकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को टैक्स से संबंधित नियमों को आसान बनाने और ‘टैक्स टेरर’ से बचने की जरूरत है। सिन्हा एनडीए सरकार में वित्त और एविएशन जैसे अहम मंत्रालयों में राज्य मंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं।
सिन्हा ने मनीकंट्रोल (Moneycontrol) से खास बातचीत में कहा कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स हटाने की जरूरत है। बजट 2024-25 में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के ढांचे में काफी बदलाव किया गया है। इसके तहत इंडेक्सेशन बेनिफिट को खत्म किया गया है और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 20 पर्सेंट से घटाकर 12.5 पर्सेंट कर दिया गया है।
यह नियम 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई सभी प्रॉपर्टी पर लागू होगा। जयंत सिन्हा ने मनीकंट्रोल को बताया कि कैपिटल गेन्स को अलग-अलग एसेट क्लास के लिए कैपिटल गेन्स को एकीकृत करना अहम है, लेकिन टैक्सपेयर्स के पास विकल्प होना चाहिए। सिन्हा ने बताया, ‘मैं सुझाव दूंगा कि जिस तरह से इनकम टैक्स में पुरानी और नई टैक्स रिजीम का विकल्प है, उसी तरह से अलग-अलग एसेट क्लास में इस विकल्प की सुविधा मिलनी चाहिए। इस बदलाव के लिए दो-तीन साल का विंडो होना चाहिए।’
इंश्योरेंस पर GST हटाने की जरूरत
इस बात को लेकर व्यापक बहस चल रही है कि हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस जैसी सर्विसेज पर जीएसटी लगना चाहिए या नहीं। रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवेज मिनिस्टर नितिन गडकरी ने इस सिलसिले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी थी। सरकार ने फिस्कल ईयर में 2023-24 में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी के तौर पर 8,263 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे।
GST का ढांचा तैयार करने में जयंत सिन्हा की भी अहम भूमिका रही थी। 17वीं लोकसभा के दौरान सिन्हा की अगुवाई वाली वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स खत्म करने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा, ‘मैं 5 वर्षों तक स्थायी समिति का चेयरमैन था। हमने इंश्योरेंस के लिए जो रिपोर्ट जारी की थी, इस पर समिति में पूरी तरह से सहमति थी। हर कोई इस बात से सहमत था कि हम लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी खत्म कर देना चाहिए। ‘
टैक्स मोर्चे पर गैर-जरूरी आक्रामकता
पिछले कुछ महीनों में जीएसटी चोरी को लेकर तमाम नोटिस भेजे जा रहे हैं। गेमिंग इंडस्ट्री से लेकर प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस तक को नोटिस भेजे गए हैं। इस तरह के नोटिस की वजह से कई लोग इसे टैक्स के आतंक राज की वापसी भी कह रहे हैं। जयंत सिन्हा ने इंडस्ट्री की चिंताओं को वाजिब करार देते हुए कहा कि इस तरह की मांगों से कारोबारी माहौल पर खराब असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘ यह सही चिंता है। सरकार का लक्ष्य ईज ऑफ डुइंग बिजनेस सुनिश्चित करने पर होना चाहिए।’