रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 6 अगस्त को शुरू हुई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनफ्लेशन अपने कंफर्ट जोन से ऊपर है, लिहाजा ग्लोबल स्तर पर मची उथल-पुथल के बावजूद ब्याज दर में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। देश में हेडलाइन इनफ्लेशन 4 पर्सेंट से ऊपर बना हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कमोडिटी की कीमतों, खास तौर पर क्रूड में गिरावट से ब्याज दर तय करने वाले पैनल को थोड़ी सी राहत मिल सकती है। रिजर्व बैंक बैठक के नतीजे 8 अगस्त को साझा करेगा।
मनीकंट्रोल की तरफ से 5 अगस्त को 18 अर्थशास्त्रियों, बैंकर्स और फंड मैनेजर्स के पोल के मुताबिक, रेपो रेट फिलहाल 6.5 पर्सेंट पर स्थिर रहने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हालांकि केंद्रीय बैंक ग्रोथ में गिरावट के जोखिम पर गंभीरता से गौर कर सकता है। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के चीफ इकोनॉमिस्ट और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हाजरा ने बताया, ‘लेबर मार्केट की खराब स्थिति के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखने के फेडरल रिजर्व के फैसले से मंदी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। और इस तरह सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है।’
उनके मुताबिक, चीन और यूरो जोन में कमजोर ग्रोथ की वजह से रिजर्व बैंक ग्रोथ से जुड़े खतरों को गंभीरता से लेना शुरू कर सकता है। अमेरिका में जुलाई का रोजगार डेटा अनुमान से कमजोर रहने की वजह से वहां मंदी की आशंकाएं पैदा हो गई हैं और इस वजह से 5 अगस्त को दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। भारतीय शेयर बाजार भी तकरीबन 3 पर्सेंट की गिरावट के साथ बंद हुआ।
पिछले हफ्ते से बॉन्ड यील्ड में गिरावट है और बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। फेडरल रिजर्व द्वारा सितंबर में ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिए जाने के बाद ऐसा देखने को मिल रहा है। भारत में बॉन्ड यील्ड 5 अगस्त को गिरकर 28 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया।