अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी इंडियन आईटी कंपनियों के लिए अच्छा नहीं है। इसका असर इंडियन आईटी कंपनियों के आउटलुक पर पड़ा है। इन कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिकी कंपनियों से आउटसोर्सिंग डील का बड़ा हाथ है। हाल में आईटी सेक्टर में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने के संकेत मिले थे। पहली तिमाही में आईटी कंपनियों ने एंप्लॉयीज की भर्ती बढ़ाई थी। लेकिन, ऐसा लगता है कि आईटी सेक्टर की चमक फिर से फीकी पड़ सकती है। ग्लोबल इकोनॉमी में संकट बढ़ने का सीधा असर आईटी कंपनियों पर पड़ेगा।
5 अगस्त को निफ्टी आईटी इंडेक्स में 3.3 फीसदी गिरावट आई थी। LTIMindtree, TCS, Wipro, Tech Mahindra और Infosys के स्टॉक्स 2-4 फीसदी तक गिरावट आई। हालांकि, 6 अगस्त को निफ्टी आईटी इंडेक्स हरे निशान में बंद हुआ। हालांकि, अमेरिकी इकोनॉमी में संकट बढ़ने के संकेतों के बीच उम्मीद की किरण दिखी है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इकोनॉमी में मंदी की आशंका को देखते हुए अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व अनुमान से पहले इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है।
ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “सितंबर में इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद बढ़ी है। इसका कंपनियों के मैनेजमेंट की कमेंटी पर पॉजिटिव असर दिखा है। उम्मीद है कि आगे स्थिति बेहतर हो सकती है।” उधर, कोट सिक्योरिटीज में वीपी रिसर्च सुमीत पोखराना का मानना है कि आईटी शेयरों में गिरावट रणनीतिक निवेश का मौका हो सकता है। उन्होंने कहा कि निवेशक अच्छी आईटी कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं। हालांकि कई लार्ज आईटी कंपनियों के शेयरों की वैल्यूएशन काफी बढ़ गई हैं।
इंडसेक सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट ऋषभ वासा ने कहा कि फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट घटाने की संभावना बढ़ गई है। इससे डिस्क्रेशनरी खर्च में वृद्धि हो सकती है, जिससे आईटी कंपनियों को भी नई डील में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डर के मौजूदा माहौल के बावजूद रिटेल और हेल्थकेयर सेक्टर की अच्छी ग्रोथ आईटी सेक्टर के लिए फायदेमंद हो सकती है।
रेनसॉ इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के पंकज मुरारका ने कहा कि हालांकि अमेरिका से जुड़े हालिया डेटा अच्छे नहीं हैं लेकिन इकोनॉमी की स्थिति मजबूत है। इस साल या अगले साल की शुरुआत में इंटरेस्ट रेट में कमी से बाजार में स्थिरता आएगी। इससे आईटी सेक्टर पर भी अच्छा असर पड़ेगा। इंडियन इकोनॉमी के लिए आईटी कंपनियों का अच्छा प्रदर्शन काफी अहम है। इंडिया की जीडीपी में इनका करीब 7.7 फीसदी योगदान है।