भारत और दुनिया के प्रमुख शेयर बाजारों में अब तक भूराजनीतिक तनाव का असर देखने को मिला है। हालांकि, निवेशकों की नजर अब मिडिल ईस्ट में बढ़ रहे तनाव पर है। ट्रे़डर्स की चिंता है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ रहे तनाव की वजह से देश के सबसे बड़े तेल उत्पादन जोन में कच्चे तेल की सप्लाई में बाधा पहुंच सकती है।
ब्रोकरेज फर्म वेल्थ मिल्स सिक्योरिटीज (WealthMills Securities) के डायरेक्टर क्रांति बैथिनी नेबताया, ‘ बाजार पिछले संघर्षों मसलन इजराइल-गाजा तनाव को बर्दाश्त करता रहा है और ग्लोबल सप्लाई पर इसका सीमित असर हुआ। हालांकि, अगर ईरान इस विवाद में पड़ता है, तो इससे दिक्कत बढ़ सकता है।’
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गौरांग शाह ने बताया, ‘अगर ईरान का रुख आक्रामक रहता है या मामला नियंत्रण से बाहर जाता है, तो कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं। इससे खास तौर पर उन देशों पर असर होगा, जो ऑयल इंपोर्ट पर निर्भर हैं, मसलन चीन और भारत।’ अमेरिका में मंदी की चिंताओं को लेकर क्रू़ड ऑयल में पिछले कुछ दिन से गिरावट का दौर चल रहा है। हालांकि, ईरान-इजरायल विवाद से स्थिति उलट सकती है।
बाजार पर मिडिल ईस्ट विवाद का शुरुआती असर
एसेट क्लासेज पर इसका असर पहले ही देखने को मिल रहा है। मिडिल ईस्टर्न शेयरों में गिरावट हो रही है, जबकि सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव है। 5 अगस्त को शुरुआती कारोबार के दौरान इंटरनेशनल गोल्ड की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली, लेकिन बाद में रिकवरी हो गई। इजरायली स्टॉक में कारोबार के दौरान अक्टूबर के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली और बाद में यह रिकवरी के साथ फरवरी के निचले स्तर पर बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार में क्या होगा?
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जबरदस्त घरेलू निवेश और बेहतर लिक्विडिटी की वजह से भारतीय शेयर बाजार मजबूत पोजिशन में है। गौरांग शाह ने बताया, ‘भारत (मार्केट) अब पहले से कहीं बेहतर स्थिति में है। यहां की समस्या इंपोर्टेड मसलों से जुड़ी है, मसलन अमेरिका में मंदी, कच्चे तेल की कीमतें आदि।’ शेयर बाजार में SIP की तेज रफ्तार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय रिटेल इनवेस्टर्स अब परिपक्व हो रहे हैं।