ऑनलाइन फूड डिलीवर करने वाली कंपनी Zomato ने इस साल मार्च तक ग्राहकों से प्लेटफॉर्म फीस के रूप में 83 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कंपनी की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। जोमैटो ने हाल ही में FY25 की पहली तिमाही के नतीजे जारी किए हैं। जोमैटो का नेट प्रॉफिट जून तिमाही के दौरान कई गुना बढ़कर 253 करोड़ रुपये हो गया। इसने पिछले साल इसी तिमाही में 2 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया था। बीते शुक्रवार को कंपनी के शेयरों में 12.11 फीसदी की तेजी देखी गई और यह स्टॉक BSE पर 262.45 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
Zomato की आमदनी FY24 में 27% बढ़ी
जोमैटो ने पिछले साल अगस्त में हर ऑर्डर पर प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू किया था। प्लेटफॉर्म फीस को जोमैटो के एडजस्टेड रेवेन्यू को बढ़ाने वाले तीन प्रमुख फैक्टर्स में से एक बताया गया है। कंपनी की आमदनी पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में सालाना आधार पर 27 फीसदी बढ़कर 7792 करोड़ रुपये हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया, “GOV (ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू) के फीसदी के रूप में एडजस्टेड रेवेन्यू में वृद्धि जारी रही, जिसका मुख्य कारण रेस्टोरेंट कमीशन दरों में वृद्धि, ऐड मोनेटाइजेशन में सुधार और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से प्लेटफॉर्म फीस की शुरुआत है।” इसमें कहा गया है कि इन सभी फैक्टर्स ने ‘गोल्ड’ ऑर्डरों पर उपलब्ध मुफ्त डिलीवरी लाभ के कारण प्रति ऑर्डर ग्राहक डिलीवरी शुल्क में कमी की भरपाई कर दी।
Zomato के देर रात के अधिकांश ऑर्डर दिल्ली एनसीआर से
जोमैटो की रिपोर्ट के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष में देर रात के अधिकांश ऑर्डर दिल्ली एनसीआर से आए थे, जबकि नाश्ते के अधिकांश ऑर्डर बेंगलुरु से आए थे। कंपनी ने पिछले अगस्त में दो रुपये प्रति ऑर्डर प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू किया था, जिसे अब प्रमुख बाजारों में धीरे-धीरे बढ़ाकर छह रुपये कर दिया गया है। जोमैटो की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी स्विगी भी प्रत्येक ऑर्डर पर प्लेटफॉर्म फीस लेती है।