भारत की तरह अमेरिका के शेयर बाजार में भी भगदड़ मचा हुआ है। पिछले सप्ताह कमजोर आर्थिक आंकड़ों के बाद अमेरिका के मंदी की चपेट में आने की आशंका से अमेरिकी शेयर सूचकांक सोमवार को क्रैश हो गए। अमेरिकी शेयर बाजार के सूचकांक- डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 996 अंक या 2.5% नीचे था तो एसएंडपी 500 में 3.1% की गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह, नैस्डैक कंपोजिट 3.8% नीचे गिर गया। इस हाहाकार की वजह से सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार से करीब 2 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा हो चुका है।
भारत का बाजार भी क्रैश
सोमवार को तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 2,222.55 अंक यानी 2.74 प्रतिशत लुढ़क कर एक महीने के निचले स्तर 78,759.40 अंक पर बंद हुआ। बाजार में चार जून, 2024 के बाद एक दिन में यह सबसे बड़ी गिरावट है। उस दिन यह 2,686.09 अंक टूटकर 78,295.86 अंक पर बंद हुआ था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 662.10 अंक यानी 2.68 प्रतिशत का गोता लगाकर 24,055.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 824 अंक लुढ़क कर 23,893.70 अंक तक आ गया था। निफ्टी में भी चार जून के बाद यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। उस दिन आम चुनाव के परिणाम के बाद बाजार में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी। घरेलू शेयर बाजार में मची अफरातफरी के बीच सोमवार को निवेशकों की 15.32 लाख करोड़ रुपये की बड़ी पूंजी डूब गई।
क्या है वजह
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा-अमेरिका में रोजगार के आंकड़े निराशाजनक रहने से मंदी, येन की विनिमय दर में वृद्धि से ‘कैरी ट्रेड’ यानी सस्ती दर पर उधार लेकर दूसरे देशों की संपत्तियों में निवेश रुकने की आशंकाओं को लेकर निवेशकों के बीच सतर्क रुख के साथ वैश्विक बाजारों में जोरदार गिरावट रही।
स्वस्तिका इन्वेस्मार्ट लिमिटेड के संतोष मीणा ने कहा कि वैश्विक बाजारों में मंदड़िये हावी रहे। जापान में ब्याज दर बढ़ने के कारण येन ‘कैरी ट्रेड’ की स्थिति पलटने की आशंका बाजार गिरने का प्रमुख कारण था। अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों ने स्थिति और खराब की है। इससे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ी है। इन सबसे बाजार धारणा प्रभावित हुई।