मोमेंटम या अल्फा फैक्टर का मतलब ऐसे स्टॉक्स में निवेश करना है, जिन्होंने चढ़ते बाजार में प्रमुख इंडेक्स के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। इसके अलावा गिरते बाजार में उन शेयरों में निवेश करने को भी अल्फा रिटर्न कहा जाता है, जिनमें मार्केट के सूचकांक के मुकाबले कम गिरावट आती है। मोमेंटम या अल्फा को ‘पर्सिस्टेंट’ फैक्टर की कैटेगरी में रखा जाता है। इस कैटेगरी को मार्केट में जारी ट्रेंड से फायदा होता है।
रिटर्न देने में मोमेंटम और अल्फा फैक्टर आगे रहे हैं
MSCI की स्टडी से पता चलता है कि ऐतिहासिक आधार पर मोमेंटम या अल्फा फैक्टर एक्सेस रिटर्न देने में आगे रहा है। इसने लंबे साइकिल वाली मैक्रो इनवायरमेंट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने दो फैक्टर सूचकांकों-निफ्टी200 अल्फा इंडेक्स और निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्स विकसित किया है। दोनों सूचकांकों का मकसद अल्फा या मोमेंटम के आधार पर निफ्टी 200 इंडेक्स से चुनी गई 30 कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करना है। इसके चलते उपर्युक्त सूचकांकों का पोर्टफोलियो और प्रदर्शन लंबी अवधि में अलग रहता है।
शेयरों के चुनाव के लिए अलग-अलग पैमाने
मोमेंटम स्ट्रेटेजी में शेयरों का चुनाव छह महीने और 12 महीने के रिस्क एडजस्टेड रिटर्न के आधार पर होता है, जबकि अल्फा स्ट्रेटेजी में उनका सेलेक्शन स्टॉक के पिछले एक साल के रिटर्न के आधार पर होता है। यह कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल (CAPM) के अतिरिक्त होता है। आम तौर पर अल्फा-जेनरेटिंग स्टॉक्स का मोमेंटम ज्यादा होगा। और इसके ठीक उलट भी होता है। इसलिए पोर्टफोलियो एक जैसे दिख सकते हैं। लेकिन, दोनों के एप्रोच के बीच फर्क दूसरे तरह से दिखता है।
मोमेंटम स्कोर के लिए फ्री-फ्लोट मार्केट कैप का इस्तेमाल
ये सूचकांक इस मायने में अलग है कि दोनों के पोर्टफोलियो में शेयरों का सेलेक्शन अलग-अलग तरह से किया जा सकता है। मोमेंटम वेटेज एसाइन करने के लिए मोमेंटम स्कोर और फ्री-फ्लोट मार्केट कैप का इस्तेमाल करता है। चूंकि यह वेटेज एसाइन करने के लिए फ्री-फ्लोट मार्केट कैप का इस्तेमाल करता है जिससे Nifty200 Momentum 30 इंडेक्स का झुकाव अक्सर लार्ज कैप्स की तरफ होगा। यह ऐसे मार्केट में होगा जहां मिडकैप का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर है। दूसरी तरफ निफ्टी200 अल्फा 30 इंडेक्स का वेट पूरी तरह से स्टॉक के अल्फा स्कोर पर आधारित होता है। इसका मतलब है कि इसमें उस स्टॉक को सबसे ज्यादा वेटेज मिलेगा, जिसने अपने फ्री-फ्लोट मार्केट कैप से अलग अच्छा प्रदर्शन किया है।
दोनों की रीबैलेंसिंग के तरीके भी अलग-अलग
एक दूसरा पहलू भी है, जिसमें मोमेंटम और अल्फा सूचकांकों में फर्क होता है। वह है शिड्यूल्ड रीबैलेंसिंग। मोमेंटम की रीबैलेंसिंग हर छह महीनों यानी जून और दिसंबर में होता है। इसके मुकाबले अल्फा की रीबैलेंसिंग हर तिमाही होती है। इससे अल्फा इंडेक्स में ज्यादा लचीलापन होता है। वह मार्केट में बदलाव के हिसाब से खुद अपने को ढाल लेता है।