इंफोसिस के मामले में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इंटेलीजेंस (DGGI) 2017-2018 के लिए 3898 करोड़ रुपये के जीएसटी अमाउंट को लेकर प्री-शो कॉज (पूर्व-कारण बताओ) नोटिस की कार्यवाही बंद कर रहा है। इस बारे में कंपनी को कम्युनिकेशन मिल चुका है। इस सप्ताह की शुरुआत में, आईटी कंपनी इंफोसिस को कर अधिकारियों से 32,403 करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस मिला था। बीएसई फाइलिंग में, इंफोसिस ने कहा कि उसे जुलाई 2017 से मार्च 2022 की अवधि के लिए DGGI की ओर से जारी एक प्री-शो कॉज नोटिस मिला है और कंपनी ने उसका जवाब दे दिया है।
इंफोसिस ने कहा, “कंपनी को अब वित्त वर्ष 2017-2018 के लिए प्री-शो कॉज नोटिस की कार्यवाही बंद करने के लिए DGGI से एक संदेश मिला है। इस अवधि के लिए प्री-शो कॉज नोटिस के अनुसार जीएसटी राशि 3,898 करोड़ रुपये थी।” DGGI वस्तु एवं सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए सर्वोच्च खुफिया और जांच एजेंसी है। इसे अप्रत्यक्ष कर कानूनों के अनुपालन में सुधार का काम सौंपा गया है।
कर्नाटक राज्य जीएसटी प्राधिकरण ने थमाया था ₹32403 करोड़ का नोटिस
31 जुलाई को इंफोसिस तब सुर्खियों में आई, जब कर्नाटक राज्य जीएसटी प्राधिकरण और DGGI ने कंपनी को 2017 से शुरू 5 साल की अवधि के लिए अपनी विदेशी शाखाओं से प्राप्त सेवाओं के लिए 32,403 करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस दिया। कंपनी ने नोटिस को प्री-शो कॉज नोटिस बताया था और स्पष्ट रूप से कहा था कि उल्लिखित खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं है।
एक दिन बाद इंफोसिस ने कहा कि जीएसटी के कर्नाटक प्राधिकरण ने कंपनी को भेजा गया 32,403 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग का नोटिस वापस ले लिया है। साथ ही इंफोसिस को निर्देश दिया है कि वह इस मसले पर DGGI के केंद्रीय प्राधिकरण को एक नया जवाब दे। कंपनी ने तर्क दिया था कि नियमों के मुताबिक, विदेशी शाखाओं द्वारा भारतीय यूनिट को प्रदान की जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अंतर्गत नहीं आती हैं।