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वॉरेन बफे की कंपनी ने Apple में बेची अपनी 50% हिस्सेदारी, दिग्गज निवेशक ने अपने पास रखा है रिकॉर्ड 280 अरब डॉलर कैश

दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे (Warren Buffett) की कंपनी, बर्कशायर हैथवे इंक (Berkshire Hathaway Inc) ने एपल (Apple) में अपनी हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी तक घटा ली है। इस भारी बिकवाली के चलते वॉरेन बफे के पास मौजूद कैश भंडार अब 276.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। बर्कशायर हैथवे ने इसके अलावा दूसरी तिमाही के दौरान कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेची है। बर्कशायर ने शनिवार 3 अगस्त को एक बयान में बताया कि उसने दूसरी तिमाही के दौरान शुद्ध आधार पर कुल 75.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे। हालांकि बर्कशायर ने यह नहीं बताया कि उसने इसमें से एपल में कितने के शेयर बेचे।

ओमाहा, नेब्रास्का स्थित समूह ने शनिवार को बताया कि कुल मिलाकर, इस अवधि में बर्कशायर ने शुद्ध आधार पर $75.5 बिलियन मूल्य के शेयर बेचे। परिचालन आय बढ़कर $11.6 बिलियन हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि के लिए $10 बिलियन थी।

वॉरेन बफे ऐसे समय में शेयर बेचे थे, जब S&P-500 इंडेक्स ने जुलाई के दौरान अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर को छुआ था। हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े शेयरों की रैली खत्म होने के आशंका पिछले 3 हफ्तों से इंडेक्स लगातार गिरावट के साथ बंद हुआ है। शुक्रवार 2 अगस्त को अमेरिकी इकोनॉमी से जुड़ी चिंताओं के चलते S&P इंडेक्स 1.8 फीसदी गिर गया था।

बफेट की कंपनी बर्कशायर ने बैंक ऑफ अमेरिका में भी अपनी हिस्सेदारी काफी हद तक कम कर दी है, जो कि उसका बैंकिंग सेक्टर में सबसे बड़ा दांव था। गुरुवार देर रात एक फाइलिंग के मुताबिक, बर्कशायर ने जुलाई के मध्य से अब तक अपनी हिस्सेदारी में 8.8% की कटौती की है।

बर्कशायर ने 2016 में पहली बार एपल में अपनी हिस्सेदारी का खुलासा किया था। बर्कशायर ने 2021 में बताया कि उसके पास एपल के 90.8 करोड़ शेयर है, जिसे उसने सिर्फ 31.1 बिलियन डॉलर खर्च कर खरीदे हैं। अब जून तिमाही के अंत में उसके पास एपल के करीब 40 करोड़ शेयर बचे थे, जिनकी वैल्यू 84.2 बिलियन डॉलर है।

बफेट ने मई में शेयरधारकों की बैठक में कहा था कि उसने अमेरिकन एक्सप्रेस कंपनी और कोका-कोला में भी निवेश किया हुआ है, लेकिन एपल इन दोनों के मुकाबले कहीं बेहतर बिजनेस वाली कंपनी है। उन्होंने उस समय कहा था कि एपल उनके पोर्टफोलियो की टॉप होल्डिंग्स कंपनी बनी रहेंगी। हालांकि अब ऐसा लगता है कि टैक्स से जुड़े मुद्दों के चलते बर्कशायर को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी है।

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