कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI), IPO मंजूरी में तेजी लाने के लिए एक मैकेनिज्म पर काम कर रहा है। इसके अलावा कंपनियों की ओर से दाखिल किए जा रहे IPO डॉक्युमेंट्स की जांच के लिए एक आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस टूल भी विकसित कर रहा है। यह दिसंबर तक उपलब्ध हो जाना चाहिए। यह बात सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने फिक्की के ‘कैपम’ कार्यक्रम (FICCI 21st Annual Capital Market Conference) में कही। उन्होंने कहा कि IPO प्रोसेस के इर्द-गिर्द एक जटिलता कायम है, जैसे कि एक जटिल ‘ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस’ दाखिल करना।
अब इस प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रयास किया जा रहा है। विस्तार से बताते हुए बुच ने कहा कि सेबी एक ऐसी प्रक्रिया पर काम कर रहा है, जिसमें एक टेम्पलेट होगा, जिसमें कंपनियां IPO डॉक्युमेंट तैयार करने के लिए खाली जगह भर सकेंगी। किसी भी जटिलता को स्पष्ट करने और किसी विशेष पहलू पर वेरिएशंस को समझाने के लिए एक अलग कॉलम होगा।
सटीक और अर्थपूर्ण होगा डॉक्युमेंट
उन्होंने कहा कि यह डॉक्युमेंट सटीक और अर्थपूर्ण होगा। इसमें किसी भी प्रकार के वेरिएशन को अलग से समझाया जाएगा। यह नई प्रोसेस, प्रोसेसिंग टाइम को सुगम बनाएगी और प्रक्रिया भी सरल हो जाएगी। हालांकि, बुच ने स्कीम को लागू किए जाने के लिए कोई समय-सीमा या इसके लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
कंपनियों के लिए पैसे जुटाने की एक नई प्रक्रिया पर भी हो रहा काम
इसके अलावा सेबी, लिस्टेड कंपनियों के लिए पैसे जुटाने की एक नई प्रक्रिया पर भी काम कर रहा है, जो राइट्स इश्यू और प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट का कॉम्बिनेशन होगा। बुच ने कहा कि प्रिफरेंशियल इश्यू के लिए मंजूरी पाने के लिए एंड टू एंड प्रोसेस की कुल अवधि वर्तमान में 42 दिन है। नई प्रक्रिया के आने से यह लगभग आधी होकर 23 दिन रह जाएगी। इस इनोवेशन के तहत सेबी, खुद से मंजूरी लेने की जरूरत को खत्म कर रहा है और मर्चेंट बैंकरों की जरूरत को भी खत्म कर देगा क्योंकि पैसे जुटाने का डॉक्युमेंट दो-पेज का एक सरल डॉक्युमेंट होगा।
इसमें निवेशकों के लिए जरूरी डिटेल्स सटीक रूप से मौजूद रहेंगी। बुच ने कहा कि इसे इनोवेशन से मर्चेंट बैंकरों को शुल्क देने की जरूरत खत्म हो सकती है। प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले सेबी इस विचार पर एक कंसल्टेशन पेपर लाएगा। यह प्रक्रिया लागत प्रभावी और तेज होगी।