निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ही 1 अगस्त को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। यह ऐसा बाजार है जो सिर्फ हर चीज को पॉजिटिव साइड को देख रहा है। इसलिए हर खराब का असर ज्यादा देर तक टिक नहीं पा रहा और बाजार इसमें कुछ न कुछ पॉजिटिव निकाल लेता है। पहले बाजार में इस उम्मीद से तेजी आ रही थी कि एनडीए की भारी बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार में वापसी होगी। चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी को अपने दम पर सरकार बनाने लायक सीटें नहीं होने के बावजूद मार्केट में तेजी जारी रही। यह उम्मीद की जा रही थी कि यूनियन बजट में सरकार कैपिटल गेंस टैक्स में कोई बदलाव नहीं करेगी। लेकिन, सरकार ने न सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस को बढ़ाया बल्कि शेयरों के बायबैक से इनकम पर भी टैक्स लगा दिया। लेकिन, इन सभी का असर मार्केट के सेंटिमेंट पर नहीं पड़ा है।
अब पहली तिमाही के नतीजों का सीजन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। यह काफी मायने रखता है, क्योंकि ज्यातर शेयरों की वैल्यूएशन काफी ज्यादा चल रही हैं। बाजार में कहा जाता है कि शेयरों की कीमतें आखिरकार अर्निंग्स का गुलाम है। लेकिन, अभी स्थिति इसके उलट दिख रही है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने हाल में जारी अपनी एक रिपोर्ट में अर्निंग्स सीजन को कमजोर बताया है। एंबिट के नितिन भसीन ने ऑटो सेक्टर के बारे में कहा है कि देशभर में ऑटो डीलर्स ने फुटफॉल नहीं बढ़ने के संकेत दिए हैं। SUV पर डिस्काउंट 4-5 फीसदी चल रहा है, जबकि छोटी कारों पर यह 10 फीसदी तक है। दक्षिण भारत में सीमेंट डीलर्स का कहना है कि कमजोर डिमांड की वजह से सीमेंट की कीमतें गिर रही हैं।
एसीसी के शेयर 1 अगस्त को 4.1 फीसदी गिरकर 2,485 रुपये पर बंद हुए। पहली तिमाही के कमजोर नतीजों की वजह से लगातार तीसरे दिन ACC की कीमतों में गिरावट आई। बुल्स का कहना है कि कंपनी की बैलेंसशीट मजबूत है। इसके अलावा अदाणी समूह के नेतृत्व की वजह से वॉल्यूम बढ़ेगा, जिससे ग्रोथ अच्छी रहेगी। उधर, बेयर्स की दलील है कि डिमांड अनुमान से कम है, कीमतों में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं की गई है और ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ने का असर एसीसी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
अंबुजा सीमेंट के स्टॉक्स 1 अगस्त को 2.2 फीसदी गिरकर 665 रुपये पर बंद हुए। पहली तिमाही में Amubja Cements के प्रॉफिट और रेवेन्यू में गिरावट आई है। बुल्स का कहना है कि कॉस्ट पर कंपनी के फोकस से मार्जिन बढ़ने की उम्मीद है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के फोकस और एफोर्डेबल हाउसिंग की अच्छी मांग से सीमेंट की मांग बढ़ने की उम्मीद है। रियल एस्टेट में गतिविधियां बढ़ने और प्राइवेट कंपनियों के पूंजीगत खर्च बढ़ाने का असर भी डिमांड पर पड़ेगा। उधर, बुल्स की दलील है कि प्रमुख बाजारों में रियलाइजेशन और डिमांड कमजोर है। ज्यादा इनपुट कॉस्ट का असर मार्जिन पर पड़ सकता है। इसके अलावा बड़ी कंपनियों के बीच बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की होड़ का असर सीमेंट की कीमतों पर पड़ सककता है।
अशोक लेलैंड के शेयर 1 अगस्त को 2.7 फीसदी की कमजोर के साथ 250.5 रुपये पर बंद हुए। बुल्स का कहना है कि लोकसभा चुनावों के बाद और अच्छे मानसून की वजह से व्हीकल्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है। ग्रामीण इलाकों की इकोनॉमी में सुधार और इनकम बढ़ने से ट्रकों की सेल्स बढ़ने की उम्मीद है। उधर, बेयर्स का कहना है कि जुलाई में सेल्स उम्मीद से कम रही है। पहली तिमाही में प्रॉफिट में गिरावट दिखी है। अगर डिमांड में रिकवरी नहीं आती है तो इसका असर प्रॉफिट पर पड़ सकता है।