Tax Evasion: एक सरकारी सूत्र ने कहा कि टैक्स अफसर जल्द ही और भी दिग्गज इन्फोटेक सर्विस फर्मों को उनके विदेशी कार्यालयों द्वारा सेवाओं पर टैक्स की कथित चोरी की जांच के लिए नोटिस जारी कर सकते हैं। अभी एक दिन पहले ही इन्फोसिस पर 4 अरब डॉलर की टैक्स डिमांड की गई थी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इन्फोसिस पर अब तक की सबसे बड़ी टैक्स डिमांड की नोटिस जारी करते हुए सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी पर टैक्स चोरी करने का आरोप लगाया और 30 जून को समाप्त तिमाही के लिए 320 अरब रुपये मांगे।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सीनियर टैक्स अफसर ने रॉयटर्स को बताया, “यह एक इंडस्ट्रीवाइड मुद्दा है,” कुछ अन्य आईटी कंपनियों को भी नोटिस भेजे जाने की संभावना है।” सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बात की क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया था। वहीं, वित्त मंत्रालय ने ईमेल का जवाब नहीं दिया।
डिमांड नोटिस पर नैस्कॉम का रिएक्शन
दूसरी ओर आईटी इंडस्ट्रीज के संगठन नास्कॉम ने गुरुवार को कहा कि टैक्स की ताजा डिमांड सेक्टर के ऑपरेशनल मॉडल की समझ की कमी को दर्शाती है। यह भी कहा कि कई कंपनियां मुकदमेबाजी और अनिश्चितता का सामना कर रही हैं।
इस मामले में इन्फोसिस ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक राज्य जीएसटी अधिकारियों ने जुलाई 2017 से मार्च 2022 के लिए इन्फोसिस लिमिटेड के विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्च के लिए 32,403 करोड़ रुपये के जीएसटी के भुगतान के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
इन्फोसिस ने एक्सचेंज फाइलिंग में क्या कहा
इन्फोसिस ने तर्क दिया कि जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के खिलाफ क्रेडिट या रिफंड के लिए योग्य हैं। फर्म ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि उसे “इसी मामले पर जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक से प्री-शो कॉज नोटिस भी मिला है और कंपनी उसी का जवाब देने की प्रक्रिया में है।”
कंपनी ने कहा कि जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के खिलाफ क्रेडिट या रिफंड के लिए पात्र हैं। उसने अपने सभी जीएसटी बकाया का भुगतान किया है और इस मामले पर केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रहा है।