ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ 2 अगस्त को खुल रहा है। कंपनी का यह इश्यू 6,146 करोड़ रुपये का है। शेयर के अपर प्राइस बैंड पर कंपनी की वैल्यूएशन 33,522 करोड़ रुपये होगी। इस आईपीओ का निवेशक लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इसकी वजह यह है कि ओला इलेक्ट्रिक इंडिया के इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में मजबूत जगह बना चुकी है। ओला इलेक्ट्रिक की शुरुआत 2021 में हुई थी। सिर्फ तीन साल में कंपनी घर-घर में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही है।
इंडिया में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में ओला की बाजार हिस्सेदारी 34.8 फीसदी है। ऑपरेशन से कंपनी के नेट रेवेन्यू की ग्रोथ अच्छी रही है। लेकिन, यह मुनाफे में नहीं आई है। पिछले तीन सालों में अच्छे इम्प्रूवमेंट के बाद कंपनी का EBITDA मार्जिन -20.8 फीसदी है। एक टेक्नोलॉजी आधारित कंपनी होने के नाते OLA Electric को रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर काफी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इससे कंपनी को इनोवेशन में मदद मिलेगी, जिससे यह प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से आगे रह सकती है।
OLA Electric ने कॉस्ट घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए वर्टिकल इंटिग्रेशन पर फोकस किया है। कंपनी बैटरी सेल्स बनाने के लिए अपनी फैक्ट्री लगा रही है। अभी इसका इंपोर्ट किया जाता है। 1.4GWh का कमर्शियल प्रोडक्शन जल्द शुरू हो जाने की उम्मीद है। कंपनी ने अगले साल की दूसरी तिमाही तक 20 GWh का उत्पादन शुरू करने का प्लान बनाया है। इससे सेल की इसकी 50 फीसदी जरूरत पूरी हो जाएगी।
ओला को PLI स्कीम के दो फायदे मिले हैं। पहला फायदा स्कूटर मैन्युफैक्चरिंग के लिए मिला है। दूसरा फायदा सेल मैन्युफैक्चरिंग के लिए मिला है। इन दोनों से कंपनी को अपना मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह तभी होगा जब कंपनी की सेल्स ग्रोथ काफी ज्यादा हो जाएगी। लोग क्लीन एनर्जी का इस्तेमाल करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पिछले दो से तीन साल में क्लीन एनर्जी से चलने वाले स्कूटर की ग्रोथ बहुत अच्छी रही है। इसमें राज्य और केंद्र सरकारों की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी और इनसेंटिव का भी हाथ है। हालांकि, FAME सब्सिडी नहीं मिलने का असर ईवी की बिक्री पर पड़ा है।
पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर के मुकाबले इलेक्ट्रिक स्कूटर की कॉस्ट ज्यादा है। इसका असर ईवी की मांग पर पड़ता है। हालांकि, स्टडी यह बताती है कि ईवी स्कूटर की कुल ओनरशिप कॉस्ट एक तरह से कम है, लेकिन शुरुआत में इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है। इससे ग्राहक इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने में कम दिलचस्पी दिखाते हैं। जब तक ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं आ जाती, जिससे अपफ्रंट कॉस्ट कम हो जाए, तब तक इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिमांड कमजोर बनी रहेगी।
इलेक्ट्रिक स्कूटर चलाने का खर्च भले ही कम है लेकिन इसके मेंटेनेंस पर होने वाले खर्च के बारे में ज्यााद जानकारी नहीं है। सर्वे बताते हैं कि मूविंग पार्ट्स कम होने के बावजूद इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मेंटेनेंस महंगा हो सकता है। सर्विस सेक्टर नेटवर्क अभी पूरी तरह से डेवलप नहीं है। इसका असर भी इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिमांड पर पड़ता है।
वैल्यूएशन के लिहाज से देखा जाए तो ओला के शेयर का प्राइस टू सेल्स मल्टीपल FY26 की अनुमानित अर्निंग्स का 4.2 गुना है। दूसरी लिस्टेड कंपनियों से तुलना करने पर यह ज्यादा लगता है। इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिमांड आगे कैसी रहेगी, अभी यह तय नहीं है। इस मार्केट में काफी प्रतिस्पर्धा है। ओला के शेयर की वैल्यूएशन भी कम नहीं है। इसलिए इस इश्यू से दूर रहना ठीक रहेगा। इस आईपीओ में निवेश को किसी स्टार्टअप में निवेश के रूप में देखना चाहिए।