भारत सरकार के स्वामित्व वाले कई बैंकों और सरकारी कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (Minimum Public Shareholding) की शर्तों को पूरा करने के लिए अब 1 अगस्त 2026 तक की मोहलत मिल गई है। बता दें कि शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली सभी कंपनियों को अपने कुल शेयरों को न्यूनतम 25% हिस्सा पब्लिक शेयरधारकों के लिए उपलब्ध कराना होता है। हालांकि कई सरकारी कंपनियों ने अभी तक इस नियम को पूरा नहीं किया है। अब सरकार ने इन कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने के लिए 1 अगस्त 2026 तक का समय दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के फाइनेंशियल मार्केट डिविजन ने इस सबंदन में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को 19 जुलाई को एक लेटर में लिखा था, जिसमें सेबी से इस मामले में आगे की जरूरी कार्यवाही करने के लिए कहा गया था।
इस बात की अटकलें पहले से चल रही थी कि SEBI कुछ सरकारी कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्त को पूरा करने की समयसीमा बढ़ा सकता है।
बता दें कि शेयर बाजार में अभी 5 ऐसे सरकारी बैंक लिस्ट में है, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 75% की अधिकतम सीमा से अधिक है। इसमें इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं। मौजूदा बाजार भाव पर इन पांचों सरकारी बैंकों में सरकार की अतिरिक्त हिस्सेदारी (75% से अधिक) की वैल्यू करीब 67,000 करोड़ रुपये है।
यूको बैंक में सरकार की 95.39 फीसदी हिस्सेदारी है और उसे न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने के लिए 20.39% अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी होगी। इसी तरह इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की 96.38% हिस्सेदारी है और सरकार को इसमें 21.38% अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी है।
इसके अलावा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सरकार की 93.08% हिस्सेदारी है और सरकार को इसमें 18.08% अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी है। पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की 98.25% हिस्सेदारी है और सरकार को इसमें 23.25% अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी है। जबकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की 86.46% हिस्सेदारी है और सरकार को इसमें 11.46% अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचनी है।
बैंकों के अलावा IRFC और SJVN सहित कई पब्लिक सेक्टर कंपनियां भी ऐसी हैं, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 75% से अधिक है। LIC में तो सरकार के पास 95% से भी अधिक हिस्सेदारी है।