F&O Trading: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने इंडेक्स डेरिवेटिव में सट्टेबाजी जैसे सट्टा कारोबार को रोकने के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर में एफएंडओ ट्रेडिंग को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं. सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि बाजार के F&O ट्रेडिंग सेगमेंट में शिरकत करने से देश के परिवारों को साल भर में 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सेबी ने लॉन्च के समय मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज 15-20 लाख रुपये के बीच करने का प्रस्ताव दिया है. लॉन्च के 6 महीने बाद कॉन्ट्रैक्ट साइज 20-30 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा है. हर हफ्ते एक ही इंडेक्स की एक्सपायरी का प्रस्ताव, बाकी मंथली एक्सपायरी होगी. नियर एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट्स में मार्जिन बढ़ाने का प्रस्ताव हैय
एक्सपायरी के शुरू होने से पहले ELM 3% से बढ़ता जाएगा, एक्सपायरी की शुरुआत पर 5% और बढ़ेगा. स्ट्राइक प्राइस को भी राशनलाइज करने का प्रस्ताव, अधिकतम 50 स्ट्राइक की ही छूट होगी. ऑप्शंस पर अपफ्रंट मार्जिन कलेक्शन का प्रस्ताव है. एक्सपायरी पर कैलेंडर स्प्रेड को खत्म करने का प्रस्ताव है.
F&O Trading: 90 फीसदी सौदे घाटे में
सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 फीसदी सौदे घाटे में रहे. सेबी चेयरपर्सन बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) निवेशकों के लिए जोखिम से भरी डेरिवेटिव गतिविधि का विकल्प नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनकी लिक्विडिटी और मुनाफा बहुत अलग है.
इस बीच, सेबी प्रमुख ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बैंक ग्राहकों के समान केवाईसी (KYC) सत्यापन का उपयोग करने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार में पेटीएम (Paytm) जैसी गड़बड़ी की अनुमति नहीं देगा.