हफ्ते के पहले दिन (29 जुलाई) को प्रमुख सूचकांकों में काफी उतारचढ़ाव रहा, क्यों बुल्स और बेयर्स दोने ही अनिश्चय की स्थिति में दिखे। बुल्स को लिक्विडिटी का सपोर्ट है, लेकिन उन्हें पता है कि ज्यादातर मामलों में वैल्यूएशन ऐसे लेवल पर पहुंच गया है, जहां मार्जिन को लेकर पर्याप्त सुरक्षा नहीं दिख रही। उधर, बेयर्स जानते हैं कि ज्यादातर स्टॉक्स पर दांव लगाने के मौके हैं, लेकिन उन्हें स्ट्रॉन्ग लिक्विडिटी का डर सता रहा है। ऐसे में मार्केट में अभी गतिरोध की स्थिति है। ऐसे में बाजार की नजरें अमेरिकी फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड के फैसलों (मॉनेटरी पॉलिसी) पर हैं।
इंडिया वीआईएक्स 5.7 फीसदी उछलकर 12.9 पर पहुंच गया है। इससे पता चलता है कि मार्केट प्लेयर्स अनिश्चितिता की स्थिति में हैं। इंडिया वीआएक्स से पता चलता है कि मार्केट में कैसा सेंटिमेंट है। अटकलें हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व सितंबर में इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह ज्यादातर मार्केट पार्टिसिपेंट्स के अनुमान से पहले होगा। सवाल है कि क्या अमेरिका में इंटरेस्ट घटने पर RBI इंटरेस्ट रेट में कमी करेगा? खानेपीने की चीजों की कीमतों में उछाल को देखते हुए यह सवाल और अहम हो जाता है। उधर, पिछले दो साल में निवेशकों पर ज्यादा इंटरेस्ट रेट्स का असर नहीं पड़ा है। ऐसे में सवाल है कि क्या इंटरेस्ट रेट में कमी होने पर बाजार के प्रमुख सूचकांकों में तेजी दिखेगी?
बैंकिंग स्टॉक्स में फिर से डिमांड दिख रही है। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि दूसरे स्टॉक्स से अलग बैंकिंग स्टॉक्स की वैल्यूएशन बहुत ज्यादा नहीं है। यही वजह है कि Macquarie और Morgan Stanley जैसी ब्रोकरेज फर्मों ने बैंकिंग स्टॉक्स के टारगेट प्राइस बढ़ाए हैं। उन्हें इन शेयरों में तेजी जारी रहने की उम्मीद है।
आईसीआईसीआई बैंक का स्टॉक 29 जुलाई को 0.3 फीसदी की मामूली तेजी के साथ 1,210.55 रुपये पर बंद हुआ था। ICICI Bank के पहली तिमाही के नतीजे सामान्य रहे। बुल्स का कहना है कि ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस में स्थिरता, एसेट क्वालिटी, लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो और बेहतर मार्जिन को देखते हुए दूसरे बैंकों के मुकाबले ICICI Bank की वैल्यूएशन सही है। उधर, बेयर्स की दलील है कि फंडिंग कॉस्ट और क्रेडिट कॉस्ट कुछ समय तक ज्यादा बनी रह सकती है। इसका असर बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर पड़ेगा। अभी क्रेडिट डिमांड स्ट्रॉन्ग है लेकिन इसके सुस्त पड़ने के संकेत दिख रहे हैं।
अल्ट्राटेक सीमेंट का शेयर 29 जुलाई को 1.9 फीसदी चढ़कर 11,898.1 रुपये पर बंद हुआ। UltraTech Cement ने India Cements में 55 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। बुल्स का कहना है कि इस डील से अल्ट्राटेक सीमेंट को दक्षिण के बाजारों में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। कैपेसिटी बढ़ने से प्रति टन EBITDA में भी सुधार होगा। कंसॉलिडेशन से फिस्कल डिस्पिलिन आती है और लंबी अवधि में प्रॉफिट को सपोर्ट मिलता है। उधर, बेयर्स की दलील है कि दक्षिण का मार्केट अब भी बंटा हुआ है। प्रतिद्वंद्वी कंपनियां छोटे प्लेयर्स का अधिग्रहण कर सकती हैं। इसका असर बड़ी कंपनियों के मार्केट शेयर पर पड़ेगा। लगातार कैपेसिटी में इजाफा की वजह से सीमेंट की कीमतें दबाव में बनी रह सकती हैं।
प्राज इंडस्ट्रीज का शेयर 29 जुलाई को 1.2 फीसदी की मजबूती के साथ 707 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी के पहली तिमाही के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। इस दौरान रेवेन्यू गिरा है, लेकिन प्रॉफिट 44 फीसदी बढ़ा है। कंपनी ने नए ऑफरिंग्स में अच्छी दिलचस्पी देखने को मिल रही हैं। एनालिस्ट्स का कहना है कि लंबी अवधि में कंपनी की ग्रोथ की संभावनाओं पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है। बेयर्स की दलील है कि सरकार की पॉलिसी में बदलाव या देरी का फाइनेंशियल ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। लगातार चौथी तिमाही कंपनी की ऑर्डरबुक में गिरावट देखने को मिली है। इस ट्रेंड के जारी रहने से ग्रोथ पर असर पड़ सकता है।