Ola Electric IPO: लंबे समय से जिस आईपीओ का इंतजार हो रहा था, आखिरकार अब वह कुछ ही दिन बाद खुलने वाला है। ओला इलेक्ट्रिक ने 6,145.56 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए 72-76 रुपये का प्राइस बैंड फिक्स किया है जिसमें एंप्लॉयीज को हर शेयर पर 7 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा। इस आईपीओ के तहत 5500 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे और 8,49,41,997 शेयरों की ऑफर फॉर सेल विंडो के तहत बिक्री होगी। यह इश्यू सब्सक्रिप्शन के लिए 2 अगस्त को खुलेगा। पहली बार कोई पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वीईकल कंपनी लिस्ट होने जा रही है तो इसे लेकर सावधानी भी बरतनी होगी कि पैसे लगाएं या नहीं।
वैसे भी ओला इलेक्ट्रिक लगातार घाटे में है और वित्त वर्ष 2024 में इसका घाटा 7.61 फीसदी बढ़कर 1584 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कंपनी सिर्फ घाटे में ही नहीं है बल्कि कैश फ्लो भी निगेटिव में है। ऐसे में ओला इलेक्ट्रिक आईपीओ में पैसे लगाने से पहले कुछ जरूरी बातें जरूर जान लें ताकि सुरक्षित निवेश को लेकर फैसले ले सकें।
घाटा और निगेटिव कैश फ्लो
बाजार नियामक सेबी के पास दाखिल रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (RHP) के मुताबिक ओला इलेक्ट्रिक जब से बनी है, घाटे में ही है और कैश फ्लो भी निगेटिव है। इसकी सब्सिडियरी OET और OCT भी अब तक फायदे में नहीं आई है। हालांकि इसे लेकर ओला का कहना है कि बिजनेस में निवेश, प्रोडक्ट पोर्टफोलियो के विस्तार, कैपेसिटी बनाने और कारोबार बढ़ाने में निवेश के चलते ही नियर टर्म में कंपनी घाटे में रही है।
काफी नई है कंपनी
किसी कंपनी का कारोबार जब थोड़ा पुराना हो जाता है, तो उसके बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे वह कैसा परफॉरमेंस कर सकती है या खर्चों को लेकर इसकी स्ट्रैटेजी कितनी कारगर हो सकती है। वहीं ओला इलेक्ट्रिक की बात करें तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बनाने को लेकर अभी इसकी ऑपरेटिंग हिस्ट्री छोटी ही है तो इसे लेकर कुछ नहीं कह सकते हैं कि होल्डिंग लेवल या सब्सिडियरी लेवल पर आगे चलकर कब और कितने मुनाफे में आ सकेगी।
रिसर्च पर खर्च
कंपनी ने सेबी के पास दाखिल आरएचपी में कहा कि आरएंडडी और तकनीक में कंपनी ने भारी निवेश किया हुआ है और आगे भी निवेश जारी रहेगा। हालांकि कंपनी का यह भी कहना है कि इन निवेश पर कितना रिटर्न मिलेगा, इसे लेकर कुछ पक्के तौर पर नहीं कह सकते। वैसे बता दें कि आईपीओ के जरिए कंपनी जो फंड जुटाएगी, उसमें से कुछ पैसे आरएंडडी पर भी खर्च होंगे।
सप्लाई और कीमत तय करने में रिस्क
इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बनाने में जो चीजें लगती हैं, उनकी सप्लाई में रुकावट आती हैं या कीमतें बढ़ती हैं तो ओला इलेक्ट्रिक की ईवी की कीमत बढ़ सकती है। इससे मैनुफैक्चरिंग और डिलीवरी के लिए जो टाइमलाइन पहले तय किया गया था, उस पर असर पड़ सकता है।
सरकारी इंसेंटिव में बदलाव
केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार से सब्सिडी और जीएसटी में छूट से ओला इलेक्ट्रिक को बहुत फायदा मिला है। ओला का कहना है कि अगर सरकार से ये राहत नहीं मिलती है या मिलने में देरी होती है तो इससे ईवी की कीमतें बढ़ सकती हैं। ईवी की कीमतें बढ़ीं तो इनकी मांग पर असर पड़ सकता है और फिर कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी को झटका लग सकता है।
क्वालिटी से जुड़े मुद्दे
ओला इलेक्ट्रिक ईवी बनाने के लिए कुछ कंपोनेंट्स खुद ही बनाती है तो कुछ विदेशों से मंगाती है तो कुछ घरेलू सप्लायर्स से मंगाती है। अब कंपनी ने आशंका जताई है कि अगर इनमें से किसी भी कंपोनेंट्स या कच्चे माल की क्वालिटी अच्छी नहीं निकलती है या ईवी का परफॉरमेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं रहता है तो कंपनी की इमेज पर निगेटिव असर पड़ेगा और फिर इसकी बिक्री भी प्रभावित हो सकती है।
बैट्री को बदलने का खर्च
ओला की ईवी पूरी तरह इस पर निर्भर है कि बैट्री की सेहत कैसी है। अब अगर इसे बदलने का खर्च ग्राहक को महंगा लगा तो ईवी की बिक्री पर असर पड़ सकता है।
चार्जिंग से जुड़ा इश्यू
अभी चूंकि हर जगह ओला के चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं। ऐसे में अगर ओला की ईवी को किसी और कंपनी के चार्जिंग स्टेशन पर चार्ज करने में दिक्कत आती है तो इसकी बिक्री पर असर पड़ सकता है।