रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा का कहना है कि भारत में पर्सनल इनकम टैक्स के लिए दो के बजाय एक ही रिजीम होना चाहिए। फाइनेंस मिनिस्ट्री के इस वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तकरीबन 70 पर्सेंट टैक्सपेयर्स पहले ही नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुन चुके हैं, जो नई और आसान टैक्स रिजीम की तरफ बढ़ने के लिए स्पष्ट संकेत है।
भारत में टैक्सपेयर्स के पास दो इनकम टैक्स रिजीम में से एक चुनने का विकल्प होता है। पुरानी रिजीम के तहत टैक्स ज्यादा लगता है, लेकिन इसमें कई कटौतियां या छूट होती है। नई टैक्स रिजीम में टैक्स रेट कम होता है, लेकिन इसमें कटौतियों या छूट के लिए भी प्रावधान कम है।
मल्होत्रा ने बताया कि भारत के रियल एस्टेट सेक्टर पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) को थोड़ा सा बढ़ाकर 12.5 पर्सेंट कर दिया गया है, जबकि 2022-23 में इसकी प्रभावी दर 11.54 पर्सेंट है। इस बार के बजट में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के तहत इंडेक्सेशन लाभ हटा दिया है।
हालांकि, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 20 पर्सेंट से घटाकर 12.5 पर्सेंट कर दिया गया है। इससे ऐसे प्रॉपर्टी मालिकों के लिए टैक्स का बोझ बढ़ सकता है, जिनके पास लंबी अवधि से एसेट्स मौजूद होंगे। मल्होत्रा का कहना था कि इस कदम का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना और रियल एस्टेट व अन्य एसेट्स के बीच कैपिटल गेन्स से जुड़े टैक्स के अंतर को कम करना है।
बजट 2024 में कैपिटल गेन्स को लेकर हुए बदलाव के बारे में मल्होत्रा का कहना था, ‘ हमने वित्त वर्ष 2022-23 के 10.5 लाख रिटर्न की स्टडी की, जिसमें जमीन और बिल्डिंग से कैपिटल गेन्स हासिल की गई है। इसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की प्रभावी दर 11.54 पर्सेंट है। रियल एस्टेट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में बढ़ोतरी काफी कम है।’
उनका कहना था, ‘ हमें टैक्स रेवन्यू में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। टैक्स कंप्लायंस की वजह से टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हो रही है। बजट में जोर भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने पर है और इसके तहत टैक्स प्रावधानों को आसान बनाया जा रहा है। 1600 पेजों के इनकम टैक्स एक्ट की पूरी समीक्षा बड़ा काम है। यह बड़ी चुनौती है। हमारा मकसद इनकम टैक्स एक्ट के पुराने पड़े गए प्रावधानों को हटाना है।’