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प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटस गेंस पर इंडेक्सेशन खत्म होने से बेहतर रिटर्न हासिल करने में मिलेगी मदद

पिछले हफ्ते पेश बजट में कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव किया गया। प्रॉपर्टी बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिए इंडेक्सेशन बेनेफिट हटाने से टैक्सपेयर्स को मायूसी हुई। सरकार ने कई एसेट क्लास के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया। इसमें गोल्ड, गोल्ड और सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ), फंड्स ऑफ फंड्स, इंटरनेशनल फंड्स और अनिलिस्टेड सिक्योरिटीज शामिल हैं। इन सभी एसेट्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के वास्ते होल्डिंग पीरियड भी घटाकर 24 महीने (कुछ मामलों में 36 महीने) कर दिया गया है।

इंडेक्सेशन खत्म होने का पड़ा निगेटिव असर

आम तौर पर इस तरह के बदलाव का स्वागत होता है, क्योंकि कम टैक्स के साथ लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन के लिए मौके बढ़े हैं। एसेट पर लगने वाले टैक्स को लेकर फर्क कम हो गया है। वेल्थ क्रिएशन के लिए निवेशक को अब लिस्टेड शेयरों पर बहुत ज्यादा निर्भर रहने की जरूरत खत्म हो गई है। लेकिन, कैपिटल गेंस के नियमों में हुए बदलाव का सेंटिमेंट पर खराब असर पड़ने की वजह यह है कि प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के कैकुलकेशन के लिए इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म कर दिया गया।

 

अब इनफ्लेशन के असर नहीं मिलेगी सुरक्षा

घर के मालिकों के लिए इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि सरकार अब घर के मालिकों को इनफ्लेशन के असर से नहीं बचाएगी। पहले कुल होल्डिंग पीरियड के लिए घर खरीदने के लिए चुकाई गई कीमत को इनफ्लेशन के साथ एडजस्ट किया जा सकता था। अब इस बेनेफिट के खत्म हो जाने पर यह प्रॉपर्टी के मालिक को तय करना होगा कि प्रॉपर्टी खरीदने के उसके फैसले से अच्छा रिटर्न मिलेगा और यह इनफ्लेशन के मुकाबले काफी ज्यादा होगा।

सही प्रॉपर्टी पर दांव लगाने से होगा फायदा

इसके उलट अगर कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी की ज्यादा कीमत चुकाता है या ऐसी प्रॉपर्टी खरीदता है जिसकी कीमत नहीं बढ़ती है तो भी उसे 12.5 फीसदी के रेट से खरीद कीमत और बिक्री कीमत के फर्क पर टैक्स चुकाना होगा। इसका मतलब है कि नए सिस्टम में सिर्फ ऐसे खरीदार रह जाएंगे, जिनके पास सही प्रॉपर्टी पर निवेश का हुनर होगा। पहले के सिस्टम में उन लोगों को भी सपोर्ट मिलता था जो इनवेस्टमेंट के सही फैसले नहीं लेते थे।

सही प्रॉपर्टी खरीदने पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर

2 करोड़ रुपये की लिमिट तक घर का मालिक प्रॉपर्टी बेचने से मिले पैसे से दो प्रॉपर्टी खरीद सकता है। 10 करोड़ रुपये की सीमा तक वह गेंस पर टैक्स चुकाए बगैर उसका इस्तेमाल दूसरा घर खरीदने के लिए कर सकता है। इस तरह कैपिटल गेंस का इस्तेमाल दोबारा निवेश के लिए करने वाले के लिए नया सिस्टम उतना खराब नहीं है, जितना बताया जा रहा है। लेकिन, अगर घर का मालिक गेंस के पैसे का इस्तेमाल दूसरा घर खरीदने के लिए नहीं करता है तो उसे इनफ्लेशन से प्रोटेक्शन नहीं मिलेगा और उसे एक्चुअल गेंस पर 12.5 फीसदी एलटीसीजी टैक्स चुकाना होगा।

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