India

Minimum Public Shareholding: सरकारी बैंकों को मिल सकता है दो साल का अतिरिक्त समय, जानिए डिटेल

पब्लिक सेक्टर के बैंकों को मार्केट रेगुलेटर सेबी के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए दो साल का अतिरिक्त समय मिलने की उम्मीद है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने आज 28 जुलाई को यह जानकारी दी। फिलहाल 12 पब्लिक सेक्टर के बैंकों (पीएसबी) में पांच ने MPS नियमों का पालन नहीं किया है और इनमें सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है। सेबी के नियमों के मुताबिक सभी लिस्टेड कंपनियों को 25 फीसदी MPS बनाए रखना जरूरी है।

पब्लिक सेक्टर के बैंकों को अगस्त 2024 तक विशेष छूट

मार्केट रेगुलेटर ने 25 फीसदी MPS की जरूरत को पूरा करने के लिए पब्लिक सेक्टर के बैंकों को अगस्त 2024 तक विशेष छूट दी है। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा, “हमने विस्तार के लिए आर्थिक मामलों के विभाग को लिखा है।” उन्होंने कहा कि आमतौर पर दो साल का विस्तार दिया जाता है और उम्मीद है कि यह जल्द ही मिल जाएगा।

 

इन सरकारी बैंकों MPS 25 फीसदी से कम

पांच बैंकों में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी से कम है। इस समय दिल्ली स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 फीसदी है। इसके बाद चेन्नई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 फीसदी, यूको बैंक में 95.39 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 फीसदी हिस्सेदारी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से नीचे आ सकती है।

जोशी ने साथ ही जोड़ा कि बैंक अपनी पूंजी जरूरतों के आधार पर क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) या अन्य तरीके से शेयर बिक्री पर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि बाजार की स्थितियों के आधार पर ये बैंक शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेंगे।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top