SME IPO: शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के आईपीओ को लेकर सख्ती बढ़ती जा रही है। अब सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से आईपीओ दस्तावेजों को मंजूरी देते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया है। सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से कहा है कि दस्तावेजों को मंजूरी देते समय ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। इसके लिए भले ही एसएमई आईपीओ के लिए मंजूरी की रफ्तार धीमी हो जाए।
SME IPO पर लिमिट
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में एसएमई शेयरों में उछाल को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच एनएसई ने एसएमई आईपीओ पर 90 प्रतिशत प्राइस कंट्रोल लिमिट लगा दी थी। आसान भाषा में समझें तो अब कंपनियों के एसएमई आईपीओ की लिस्टिंग इश्यू प्राइस से 90 फीसदी से ऊपर के भाव पर नहीं हो सकेगी। पहले लिस्टिंग भाव की कोई लिमिट तय नहीं रहती थी। हालांकि, मेनबोर्ड आईपीओ पर ये आदेश लागू नहीं होगा। स्टॉक एक्सचेंज का यह कदम इस बात पर चिंता के बीच आया था कि आखिर SME IPO लिस्टिंग के दिन ही मल्टीबैगर रिटर्न कैसे दे रहे हैं।
सेबी चेयरपर्सन ने क्या कहा था
इस साल की शुरुआत में सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा था कि कुछ जारीकर्ता और बैंकर एसएमई लिस्टिंग के लिए प्रोवाइड किए गए स्ट्रक्चर का दुरुपयोग कर रहे हैं। बुच के मुताबिक सेबी इस सेगमेंट में कीमतों में हेराफेरी की शिकायतों के बाद सबूत इकट्ठा कर रहा है।
साल 2024 में अब तक दोनों स्टॉक एक्सचेंजों पर एसएमई सेगमेंट में लगभग 120 कंपनियों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें से लगभग 35 कंपनियों ने लिस्टिंग के दिन 99 प्रतिशत से 415 प्रतिशत तक का प्रॉफिट देखा। सेबी ने सार्वजनिक पेशकशों के माध्यम से जुटाए गए धन का दुरुपयोग करने के लिए तीन एसएमई कंपनियों को पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया।