Budget 2024 Announcement: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया और पहले ही बजट में मिडिल क्लास को तगड़ा झटका दे दिया। मिडिल क्लास के ऐसे लोग जिनके पास अपना घर है, प्रॉपर्टी है और वे इसे बेचने का फैसला करते हैं तो उनके फायदे पर जोरदार कैंची चली है। वित्त मंत्री के ऐलान के मुताबिक रियल एस्टेट ट्रांजैक्शंस पर इंडेक्शन का बेनेफिट्स नहीं मिलेगा जिसमें खरीद प्राइस को इनफ्लेशन से एडजस्ट किया जाता है। यह बेनेफिट्स नहीं मिलने पर उन्हें प्रॉपर्टी बिक्री में अब अधिक टैक्स चुकाना पड़ सकता है। वित्त मंत्री के इस फैसले से निफ्टी का रियल्टी इंडेक्स 2 फीसदी से अधिक टूट गया।
एक उदाहरण से समझें, कितना बड़ा है झटका
मान लेते हैं कि आपने कोई प्रॉपर्टी 2004-05 में 50 लाख रुपये में खरीदी थी। अब इसकी वैल्यू 2024-25 में बढ़कर 2 करोड़ रुपये हो गई। पहले के नियम के हिसाब से इस प्रॉपर्टी को आप बेचते हैं तो टैक्स कैलकुलेशन में इंडेक्शन बेनेफिट मिलता। कितना बेनेफिट मिलता? 2004-05 में कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स 113 था और 2024-25 में यह 363 है यानी कि इनफ्लेशन को एडजस्ट कर इस प्रॉपर्टी की खरीद वैल्यू यानी इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन करीब 1.60 करोड़ रुपये आई। अब इस खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस यानी 2 करोड़ रुपये के अंतर यानी करीब 40 लाख रुपये का कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर टैक्स कैलकुलेट होगा। हालांकि अब जब इंडेक्स बेनेफिट नहीं मिलेगा तो खरीद प्राइस यानी 50 लाख रुपये और बिक्री प्राइस 2 करोड़ रुपये के अंतर यानी 1.5 करोड़ रुपये के मुनाफे पर टैक्स देनदारी बनेगी। इस तरह समझ सकते हैं कि मिडिल क्लास को वित्त मंत्री के फैसले से कितना बड़ा झटका लगा है। कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स को सरकार समय-समय पर जारी करती है।
टैक्स के रेट में कटौती का मलहम
वित्त मंत्री ने इंडेक्स बेनेफिट वापस तो लिया है लेकिन प्रॉपर्टी की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की दर में कटौती का मलहम भी लगाया है। वित्त मंत्री के ऐलान के मुताबिक अब प्रॉपर्टी की बिक्री पर 20 फीसदी की बजाय 12.5 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा लेकिन बिना इंडेक्स बेनेफिट के। हालांकि इंडेक्स बेनेफिट के जरिए जीरो टैक्स लायबिलिटी भी बनने की संभावना रहती थी।
छोटे शहरों के लोगों को लगेगा अधिक झटका?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि वित्त मंत्री के इस फैसले से मिडिल क्लास को तगड़ा झटका लगा है लेकिन छोटे शहरों के लोगों को अधिक महसूस होगा। जेएलएल इंडिया के चीफ इकनॉमिस्ट और रिसर्च हेड समांतक दास का मानना है कि अगर प्रॉपर्टी की इतने हाई प्राइस पर बिक्री हो कि वह कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) के जरिए कैलकुलेट की गई कीमत से अधिक हो तो नए सिस्टम में फायदा होगा। हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि अधिकतर केसेज में छोटे शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें इतनी तेज नहीं बढ़ती हैं।
रियल एस्टेट को लगेगा झटका?
सिरील अमरचंद मंगलदास के पार्टनर अभिलाष पिल्लई के मुताबिक इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर को भी झटका लगा है। अभिलाष के मुताबिक नाइंटीज और 21वीं सदी के पहले दशक के लोगों के लिए रियल एस्टेट निवेश का पसंदीदा विकल्प रहा है। लोगों को यह भी पता था कि इंडेक्स बेनेफिट के चलते उन्हें पूरे मुनाफे पर टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि अब इंडेक्स बेनेफिट नहीं मिलेगा तो निवेश के तौर पर मिडिल क्लास को यह विकल्प आकर्षक नहीं लगेगा यानी रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी की आशंका दिख रही है।