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शेयर बाजार की बुल रैली पर सिर्फ लगाम लगेगा या बाजार में आने वाली है बड़ी गिरावट

शेयर बाजार को आखिर जिस बात का डर था वही हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शेयर मार्केट को एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन-तीन झटके दिए हैं। और जो राहत दी भी वो बहुत कम रही। बजट भाषण में जब FM ने एक के बाद एक टैक्स बढ़ाने का ऐलान किया तो उससे शेयर मार्केट का जोश High नहीं बल्कि लो होने लगा। और यही वजह रही है कि एक समय सेंसेक्स 1000 प्वाइंट तक गिर गया था। हालांकि निचले लेवल पर खरीदारी होने से बाजार को सपोर्ट मिला और कारोबार के अंत में यह सिर्फ 73 अंक नीचे 80429 के लेवल पर बंद हुआ।

वित्त मंत्री ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के साथ-साथ F&O पर STT यानि सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स भी बढ़ाने का ऐलान किया। यानि अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 12.5 फीसदी हो गया जो अभी तक 10 फीसदी था। वहीं कुछ मामलों शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी कर दिया जो पहले 15 फीसदी था। ऐसे समय में जब बाजार खुद उतारचढ़ाव से गुजर रहा तो इस टैक्स ने मार्केट पार्टिसिपेंट्स की और टेंशन बढ़ा दी है। शंकर शर्मा का कहन है कि इस कदम से निवेशकों को तगड़ा झटका लगेगा। शंकर शर्मा भी खुद भी खुश नहीं हैं और ये बात उन्होंने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कही है। उनकी दलील है कि जब बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर नहीं बढ़ा तो कैपिटल गेन टैक्स क्यों बढ़ाया गया।

क्या है शंकर शर्मा का कहना?

 

शंकर शर्मा ने तो यहां तक कहा कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स ऐसे समय में बढ़ाया गया है जब बाजार पहले ही कई चुनौतियों से जूझ रहा है। शर्मा ने कहा कि 2019 में इंडियन शेयर मार्केट दुनिया का 18वां सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाला बाजार था। अभी यह पूरी तरह से उबरा भी नहीं था कि नया झटका लग गया। लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने के अलावा बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स छूट की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए कर दी गई।

शंकर शर्मा का कहना है जिस तरह से टैक्स बढ़ाया गया है यह छूट काफी नहीं था। लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोत्तरी का शेयर बाजार पर किस हद तक असर होगा, इस पर शंकर शर्मा ने वैसे तो कुछ नहीं कहा। हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि बाजार में पहले ही काफी रैली आ चुकी है और उसे एक गिरावट का इंतजार पहले से ही था। ऐसे में इस खबर से बाजार का मूड और बिगड़ेगा। शंकर शर्मा ने कहा कि इस खबर से बाजार को ऐसा झटका लगा है जिसकी फिलहाल जरूरत नहीं थी।

क्या है रामदेव अग्रवाल की राय

मार्केट एक्सपर्ट रामदेव अग्रवाल का कहना है कि टैक्स काफी बढ़ चुका है। सरकार चाहती है कि निवेशक अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा सरकार को भी दे। क्या यह टैक्स स्पेकुलेशन रोकने के लिए लगाया गया है। इस पर रामदेव अग्रवाल का कहना है कि इससे स्पेकुलेशन नहीं रुकेगा क्योंकि लॉन्ग टर्म के निवेश में सट्टेबाजी नहीं होती। स्पेकुलेशन या सट्टेबाजी शॉर्ट टर्म में होती है। ऐसे में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने से सट्टेबाजी को नहीं रोका जा सकता।

क्या है अमित जेसवानी की राय?

लेकिन ऐसा मार्केट के हर एक्सपर्ट्स का नहीं मानना है। स्टैलिन एसेट के फाउंडर अमित जेसवानी का कहना है कि लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म टैक्स बढ़ाने का फैसला तो बहुत निराशाजनक रहा लेकिन जब हम बहुत पैसा बनाते हैं तो थोड़ा टैक्स भी दे सकते हैं। टैक्स बढ़ाने के बावजूद जेसवानी ने कहा कि उनका फंड अभी भी ग्रोथ ओरिएंटेड स्ट्रैटेजी पर ही फोकस करेंगे। उन्होंने कहा कि एक दो दिन के बाद सब पहले की तरह मार्केट में पैसा लगाएंगे और कोई बजट में हुए इन बदलावों की बात नहीं करेगा।

क्या होता है शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स?

अब आइए जान लेते हैं कि लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म में क्या फर्क है? जब आप शेयर या कोई फाइनेंशियल एसेट्स 1 साल से ज्याद लंबे समय तक होल्ड करते हैं तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। जबकि कोई अनलिस्टेड या नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स दो साल से ज्यादा लंबे समय तक होल्ड किया जाता है तो वह भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आता है।

F&O सौदों पर भी बढ़ा टैक्स

इन सबके साथ निर्मला सीतारमण ने F&O के सौदों पर भी टैक्स बढ़ा दिया है। पहले फ्यूचर्स पर 0.0125 फीसदी टैक्स लगता था। अब यह बढ़कर 0.02 फीसदी हो गया है। ऑप्शन पर पहले 0.0625 फीसदी टैक्स लगता था। अब यह बढ़कर 0.10 हो गया है। बाजार को एक साथ इतने बड़े झटके की उम्मीद नहीं थी। लेकिन जिस रफ्तार से बाजार में निवेशकों की संख्या बढ़ी है उस हिसाब से यही लगता है कि सरकार निवेशकों की कमाई का एक हिस्सा अपने लिए चाहती है।

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