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डिफेंस बजट-तीसरे साल भी हथियार खरीद की रकम में कटौती: महज 400 करोड़ रुपए बढ़ा सेना का बजट, 67% सैलरी-पेंशन पर खर्च

 

डिफेंस बजट 6 महीने पहले पेश हुए अंतरिम बजट का बहुत हद तक कॉपी है। सेना को खर्च के लिए 621940 करोड़ रुपए मिले हैं, जो अंतरिम बजट से महज 400 करोड़ रुपए यानी, 0.064% ज्यादा है। इसमें हथियारों की खरीद और सैलरी-पेंशन को मिलने वाला बजट जस का तस है। 400 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी रक्षा मंत्रालय के हिस्से गई है।

 

लगातार तीसरे साल कैपिटल बजट यानी, हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन पर होने वाले खर्च में कटौती की गई है। डिफेंस बजट का 67.7% हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है।

डिफेंस बजट के 4 पार्ट होते हैं :

1. रेवेन्यू बजट : सैलरी बांटने के लिए बजट का 45%

रेवेन्यू बजट का सबसे बड़ा हिस्सा तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने में खर्च होता है। अब इसमें अग्निवीरों की सैलरी भी जोड़ दी गई है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम्स, मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का खर्च भी रेवेन्यू बजट में शामिल होता है।

इस साल रेवेन्यू बजट 2.82 लाख करोड़ रुपए है, जो कुल डिफेंस बजट का 45% है। पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए यानी महज 4.6% का इजाफा हुआ है। 2023-24 में रेवेन्यू बजट में 38 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई थी।

2. कैपिटल बजट : हथियार खरीदने के लिए 27.6% बजट

कैपिटल बजट सेना का सबसे अहम पार्ट होता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तीनों सेनाओं के मॉडर्नाइजेशन, फाइटर प्लेन, हथियारों की खरीद और सेना को मजबूत बनाने में खर्च होता है।

वित्त मंत्री ने कैपिटल बजट में 1.72 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए हैं, जो कुल बजट का 27.6% है। पिछले साल के मुकाबले करीब 9400 करोड़ रुपए यानी 5.7% का इजाफा हुआ है।

2023-24 में सरकार ने कैपिटल बजट में 6.5% की बढ़ोतरी की थी। जबकि, 2022-23 में कैपिटल बजट में 12% का इजाफा हुआ था।

3. पेंशन बजट : सिर्फ 3 हजार करोड़ का इजाफा

पेंशन बजट में तीनों सेनाओं के रिटायर्ड सैनिकों की पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल होता है।

इस साल पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल डिफेंस बजट का 22.7% है। पिछले साल यह आंकड़ा 1.38 लाख करोड़ रुपए था। यानी, पेंशन बजट में सिर्फ 3 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।

देश में तीनों सेनाओं को मिलाकर रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है।

4. रक्षा मंत्रालय (सिविल) बजट : 2951 हजार करोड़ रुपए का इजाफा

सरहदी इलाकों में सड़क बनाना, कोस्ट गार्ड, जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, सेना की कैंटीन और हाउसिंग एक्सपेंडिचर जैसे खर्च इसमें शामिल होते हैं। यह डिफेंस बजट का सबसे छोटा पार्ट होता है।

इस साल रक्षा मंत्रालय को 25563 करोड़ रुपए मिले हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 2951 करोड़ रुपए ज्यादा है।

बजट की बड़ी बात : 67.7% हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने पर खर्च

तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने के लिए 2.82 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 45% है। पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 22.7% है। सैलरी और पेंशन के हिस्से को जोड़ दिया जाए, तो कुल डिफेंस बजट का 67.7% है। पिछले साल सैलरी-पेंशन बांटने पर 70% खर्च हुआ

UPA सरकार में 162% तो NDA सरकार में 172% बढ़ा डिफेंस बजट

मनमोहन सिंह ने 2004 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 77 हजार करोड़ रुपए मिले थे। 2013 में मनमोहन सिंह ने आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 2.03 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 163% का इजाफा और एवरेज ग्रोथ रेट 16.3%।

नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब पहला बजट पेश किया, तब डिफेंस को 2.18 लाख करोड़ रुपए मिले थे। 2023 में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जब आखिरी बजट पेश किया, तब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए था। यानी, 10 साल में 172% की बढ़ोतरी और ग्रोथ रेट 17.2%। यानी, UPA के मुकाबले 0.9% ज्यादा।

UPA के मुकाबले NDA सरकार में सेना की मजबूती पर 10% कम खर्च

UPA और NDA के आखिरी पांच-पांच साल के डिफेंस बजट की तुलना करने पर पता चलता है कि मनमोहन सरकार ने मोदी सरकार के मुकाबले सेना की मजबूती पर ज्यादा फोकस किया।

2010 से 2014 के बीच कुल डिफेंस बजट का औसतन 49.6% सैलरी और पेंशन के लिए अलॉट किया गया था। जबकि, हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन के लिए औसतन 34.4% बजट मिला।

वहीं, मोदी के कार्यकाल में 2018 से 2023 के बीच सैलरी-पेंशन के लिए औसतन 60.2% और सेना के मॉडर्नाइजेशन और हथियारों की खरीद के लिए औसतन 24% बजट मिला।

इंटरेस्टिंग फैक्ट : अटल ने कारगिल के बाद सबसे ज्यादा 16.73%, तो मोदी ने पुलवामा के बाद सबसे कम 10.9% डिफेंस पर खर्च किया

1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल की जंग के बाद 2000-2001 में अटल बिहार वाजपेयी की सरकार ने डिफेंस को कुल बजट का 16.73% हिस्सा दिया था, जो पिछले 20 साल में सबसे ज्यादा है।

वहीं, 2019 में पुलवामा हमला और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भी मोदी सरकार ने डिफेंस बजट के लिए कुल बजट का महज 10.96% ही अलॉट किया, जो पिछले दो दशकों में सबसे कम है।

पाकिस्तान के कुल डिफेंस बजट से दोगुना भारत पेंशन बांटने पर खर्च कर देता है

दुनियाभर में डिफेंस पर खर्च करने वाले टॉप-10 देशों में अमेरिका पहले नंबर पर है। भारत चीन और रूस के बाद चौथे नंबर पर है। अमेरिका डिफेंस पर 76.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है, जो भारत के मुकाबले 12 गुना से ज्यादा है। दुनिया के टॉप-10 देशों के डिफेंस बजट को मिला दें, तो भी अमेरिका का सेना पर खर्च ज्यादा है।

हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान डिफेंस पर खर्च करने के मामले में 30वें पायदान पर है। वह डिफेंस पर 71 हजार करोड़ रुपए खर्च करता है, जो भारत के डिफेंस बजट के मुकाबले करीब 10 गुना कम है। पाकिस्तान के कुल डिफेंस बजट से दोगुना भारत पेंशन बांटने पर खर्च कर देता है।

आने वाले सालों में सेना को मिलेंगे स्वदेशी लाइट टैंक और माउंटेड गन सिस्टम

  • जोरावर टैंक

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने इसी साल 6 जुलाई को सूरत में स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ का सफल परीक्षण किया। 25 टन वजनी जोरावर टैंक 2027 तक इंडियन आर्मी को मिलेगा।

हल्का होने की वजह से इसे हेलिकॉप्टर के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है। ये टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी, AI से लैस होंगे। चीन के पास ऐसे 500 टैंक हैं।

  • फ्यूचर इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICV)

FICV एक खास तरह का ट्रांसपोर्ट व्हीकल है, जिसके जरिए मुश्किल पहाड़ी क्षेत्रों में भी मेकेनाइज्ड इंफेंट्री ले जाया जा सकता है। यह व्हीकल रूस की डिजाइन 1980 मॉडल BMP-2 को रिप्लेस करेगी। फिलहाल रक्षा मंत्रालय ने 480 FICV के लिए मंजूरी दी है। जरूरत के मुताबिक आगे इसकी संख्या 2000 तक बढ़ाई जा सकती है।

  • माउंटेड गन सिस्टम

300 माउंटेड गन सिस्टम की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इसकी लागत करीब 7500 करोड़ रुपए है। इसे एक गाड़ी पर फिट किया जा सकता है। मुश्किल रास्तों पर चलते वक्त भी इससे आसानी से टारगेट को शूट किया जा सकता है।

1999 के आर्टिलरी मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के तहत शुरू की गई यह योजना लंबे समय से पेंडिंग थी।

  • बैलिस्टिक हेलमेट

सेना ने चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए 80,000 बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने की प्लानिंग की है। ये हेलमेट काफी हद तक AK47 की गोली भी बर्दाश्त करने में सक्षम माने जाते हैं।

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